World No-Tobacco Day 2020: अलग-अलग प्रकार के तंबाकू उत्पादों का आपकी सेहत पर प्रभाव, जानें क्या कहता है WHO

तंबाकू उत्पादों के कारण हर साल करोड़ों लोग जान जानलेवा बीमारियों का शिकार बनकर मर जाते हैं। डॉ. प्रशांत गायकवाड से जानें इनके नुकसान।

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: May 26, 2020 18:36 IST
World No-Tobacco Day 2020: अलग-अलग प्रकार के तंबाकू उत्पादों का आपकी सेहत पर प्रभाव, जानें क्या कहता है WHO

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हमारे देश में तंबाकू एक बड़ी समस्या है। इसके कारण लाखों लोग हर साल बीमार पड़ते हैं। भारत में तंबाकू का सेवन कई अलग-अलग तरीकों से किया जाता है और यही कारण है कि कोई भी स्वास्थ्य संगठन या संख्या इसे पूरी तरह से बंद कर पाने में कामयाब नहीं हो पाया है। हालांकि तंबाकू छोड़ने की हिदायत सभी पैकेटबंद उत्पादों के साथ दी जाती है, लेकिन इसका असर लोगों में कम देखने को मिलता है। इसके अलावा तंबाकू को बैन करने, इससे होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करने का भी प्रयास लगातार किया जा रहा है, लेकिन इसकी बिक्री और प्रयोग में इन उपायों से बहुत कम कमी देखने को मिलती है।

tobacco

अलग-अलग तरह के तंबाकू उत्पादों का आपके शरीर पर अलग-अलग तरह से असर पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी World Health Organization (WHO) के अनुसार तंबाकू दुनियाभर में होने वाली मौतों के एक बड़े जिम्मेदार हैं। WHO के 2004 के आंकड़ों को देखें, तो लगभग 54 लाख लोग तंबाकू उत्पादों के प्रयोग के कारण मरे थे। बींसवी सदी में अब तक लगभग 10 करोड़ लोग तंबाकू उत्पादों की भेंट चढ़ चुके हैं। तंबाकू सेहत के लिए इसलिए नुकसानदायक साबित होता है क्योंकि इसमें बहुत खतरनाक और जहरीले केमिकल्स होते हैं, जो आमतौर पर कैंसर और दूसरे रोगों का कारण बनते हैं।

अगल-अलग तरह के तंबाकू उत्पादों के नुकसान के बारे में बता रहे हैं आदित्य बिरला मेमोरियल हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के डॉ. प्रशांत गायकवाड

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roll tobacco

इन तरीकों से किया जाता है तंबाकू का सेवन

  • सिगरेट में तंबाकू के साथ कुछ अन्य एडिटिव्स को मिलाकर एक सिलिंडर पेपर में रोल किया जाता है।
  • इसी तरह सिगार भी रोल्ड तंबाकू का उदाहरण है, जिसमें सूखी फर्मेंटेड तंबाकू को रोल करके बंडल बनाया जाता है।
  • बीड़ी भी तंबाकू के इस्तेमाल से ही बनती है और काफी सस्ती होती है। इसे तेंदुआ पत्ते में तंबाकू को रोल करके बनाया जाता है। सस्ती होने के कारण गांवों में और निम्न आय वर्ग वाले लोगों में इसका प्रयोग ज्यादा देखा जाता है।
  • गुटखा भी तंबाकू सेवन का एक माध्यम है। इसे सुपारी के टुकड़ों और कुछ अन्य फ्लेवर्स के साथ तंबाकू को मिलाकर बनाया जाता है।
  • जर्दा और खैनी भी तंबाकू के इस्तेमाल से ही तैयार होते हैं और ये भी बहुत सस्ते होने के कारण निम्न आय वर्ग के लोगों में ज्यादा प्रयोग होते हैं।
  • स्नस भी तंबाकू का ही एक तरीका है, जिसमें गीले तंबाकू को स्टीम द्वारा पाश्चराइज करके पाउडर फॉर्म में बनाया जाता है। ये फर्मेंटेड नहीं होता है।

तंबाकू उत्पादों से होने वाले नुकसान

  • धुंएं वाले सभी तंबाकू उत्पादों (धूम्रपान) को सांस द्वारा फेफड़ों में खींचने से हार्ट की बीमारियां, फेफड़ों की बीमारियां, कैंसर, स्ट्रोक, एंफीसेमा आदि रोगों का खतरा होता है।
  • सेकंड हैंड तंबाकू उत्पादों के सेवन (यानी कोई और पिए लेकिन धुंआ आप खींचें) से लंग कैंसर का खतरा होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सेंकेंड हैंड स्मोकिंग के कारण हर साल लगभग 46,000 लोग अपनी जान गंवाते हैं।
  • तंबाकू उत्पादों में निकोटिन नाम का केमिकल व्यक्ति की लत बन जाता है। कुछ दिनों जब इसकी आदत लग जाती है, तो न मिलने पर बेचैनी शुरू हो जाती है।
  • घर-परिवार और आसपास स्मोक करने वाले दूसरे लोगों के धुंए से बच्चों को भी बहुत अधिक खतरा होता है। इसके कारण नवजात बच्चों की अचानक मौत (Sudden Infant Death Syndrome) हो सकती  है। इसके अलावा उन्हें रेस्पिरेटरी रोग, कान के रोग, अस्थमा और दूसरी सांस की बीमारियां हो सकती हैं। कुछ बच्चों के फेफड़ों का विकास भी बाधित होता है।
  • बिना धुंआ वाले तंबाकू उत्पाद जैसे- गुटखा, पान मसाला, जर्दा, खैनी आदि का सेवन करने से भी गालों, मसूड़ों, होठों के कैंसर और पेट के कैंसर का खतरा बढ़ता है। इस तरह के तंबाकू उत्पादों के लगातार सेवन से ल्यूकोपीनिया रोग हो सकता है, जिसके कारण मुंह और गले के अंदर सफेद पैचेज पड़ जाते हैं। ये कई तरह के कैंसर में बदल सकते हैं, जैसे- ओस्फेगस कैंसर, मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, पैंक्रियाज का कैंसर आदि।
  • चबाकर खाने वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन भी बहुत खतरनाक हो सकता है। इसके कारण क्रॉनिक बीमारियां, ओरल कैविटी, इंफ्लेमेट्री रोग, कैंसर और दूसरी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।

इनपुट्स डॉ. प्रशांत गायकवाड (इंटरनल मेडिसिन विभाग, आदित्य बिरला मेमोरियल हॉस्पिटल)

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