World Breastfeeding Week 2020: स्‍तनपान से जुड़े हैं ये 7 झूठे दावे, जिन पर कभी न करें भरोसा

World Breastfeeding Week: महिलाओं में स्‍तनपान को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, जिसके कई दुष्‍प्रभाव हैं। इन भ्रांतियों को दूर करना बहुत जरूरी है।

Atul Modi
Written by: Atul ModiUpdated at: Jul 30, 2020 20:13 IST
World Breastfeeding Week 2020: स्‍तनपान से जुड़े हैं ये 7 झूठे दावे, जिन पर कभी न करें भरोसा

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मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। बच्चे को पहला आहार ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्‍तनपान से ही मिलता है, जो बच्चे को स्वस्थ बनाए रखता है। साथ ही, ब्रेस्ट फीडिंग कराने से मां को भी फायदा होता है। ब्रेस्ट फीडिंग नवजात और मां दोनों के लिए ही फायदेमंद है। बच्चे के जन्म लेने के बाद से शुरू के 6 महीने तक ब्रेस्ट फीडिंग करानी चाहिए। यह जरूरी है कि ब्रेस्‍ट फीडिंग कराने वाली हर एक मां को इसकी विशेषता को समझे और इससे होने वाले फायदों पर भरोसा करें। लेकिन दुर्भाग्य से ब्रेस्टफीडिंग को लेकर बहुत से ऐसे सामान्य मिथ है जिन्हें लोगों को अपने दिमाग से दूर करने की आवश्‍यकता है।

विश्‍व स्‍तनपान सप्‍ताह (World Breastfeeding Week 2020) के मौके पर नई दिल्‍ली के सरोज सुपर स्‍पेशिएलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्‍टेंट (Paediatrics) डॉक्‍टर सरोज गुप्‍ता बता रहे हैं  ब्रेस्‍टफीडिंग से जुड़े कुछ मिथक और उसकी वास्तविकता के बारे में, जिन्‍हें जानना हम सभी के लिए जरूरी है। 

ब्रेस्‍टफीडिंग से जुड़े मिथ और फैक्‍ट्स- Breastfeeding Myth and Facts In Hindi 

मिथः- ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय दर्द होना सामान्य है।

वास्तविकताः- यदि ब्रेस्टफीडिंग सही तरीके से कराई जाए तो कभी दर्द नहीं होता है। इसलिए अगर दर्द होता है तो आपको ध्यान देने की जरूरत है।

मिथः-  बच्चे के जन्म के 3 या 4 दिन के दौरान अधिक दूध नहीं होता है।

वास्तविकताः-  इन दिनों दूध कम जरूर होता है लेकिन बच्चे के हिसाब से काफी होता है और यदि बच्चा ठीक ढंग से फीड ले रहा हो, तो उसके लिए उतना दूध भी काफी होता है। नवजात शिशु के पेट की क्षमता पहले 48 घंटों में 5 से 15 मी/फीड होती है।

मिथः- बच्चे को दोनों स्‍तनों से बराबर फीड करवाएं।

वास्तविकताः- सच्चाई यह है कि ऐसा जरूरी नहीं होता है, बच्चे को दोनों तरफ से समान रूप से फीड करवाया जाए चूंकि यह तो बच्चे की फीड करने मांग और अबाधित पर निर्भर करता है।

मिथः-  बोतल से फीड कराने के बाद ब्रेस्ट से फीड कराना, आसान होगा।

वास्तविकताः-  इसके विपरीत अगर पहले ब्रेस्टफीड कराने के बाद बाहर का फीड कराए तो ज्यादा आसान होगा।

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मिथः- पोस्ट सिजेरियन के बाद पहले 2 दिन तक मां बच्चे को फीड नहीं करवा सकती है।

वास्तविकताः-  ऐसे बहुत सी स्थिति होती है जिसमें मां अपने पोस्ट सिजेरियन बच्चे को फीड करवा सकती है और वो भी बिना उठे या इधर-उधर खिसके हुए, यहां तक कि तुरंत सर्जरी के बाद भी आप फीड करवा सकती है।

मिथक- लेटकर फीड नहीं करवाना चाहिए।

वास्तविकताः-  लेटकर फीड करवाना एकदम सुरक्षित और आरामदायक होता है।

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मिथः-  ब्रेसटफीडिंग से ब्रेस्ट ढल जाती है।

वास्तविकताः-  प्रेग्नेंसी, वंशागत और उम्र के कारण ब्रेस्ट ढलती है न की ब्रेस्टफीडिंग के कारण।

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मिथ:-  यदि मां बीमार है तो वे बच्चे को फीड ना कराए चूंकि उससे बच्चा भी प्रभावित होगा।

वास्तविकताः-  यदि मां बीमार है तो बच्चा उससे पहले ही उजागर हो जाता है कि वे बीमार है और मां का दूध बच्चे के लिए एंटीबॉडिज होता है जो उसे हर बीमारी से बचाता है। अगर बच्चा बीमार हो जाता है तो उसकी बीमारी इससे कम होती है। अगर मां को बुखार या जुकाम हो जाए तो भी वे बच्चे को फीड करवा सकती है। मां तब बच्चे को फीड नहीं करवा सकती जब उसे एचआइवी, टीबी या एचटीएल वी1 हो। डाॅक्टर द्वारा दी गई दवाईयां लेना सुरक्षित होगा, जब आप ब्रेस्टफीडिंग करा रहे है।

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