ऐसे बहुत से रोग हैं जिनके बारे में हम जानते नहीं हैं। यही वजह है कि जागरुकता नहीं होने की वजह से रोग के शुरूआती लक्षण नहीं पहचान पाते और गंभीर बीमारी का शिकार होना पड़ता है। हमारी आंखों से जुड़ा ऐसा ही एक रोग है जिसे ऑक्यूलर पैरालिसिस (ocular paralysis) यानी आंखों का लकवा कहते हैं। ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आंखों में लकवा (पैरालिसिस) होने के कारण आंखों की पुतलियों को चलना-हिलना बंद हो जाता है। इसके कारण व्यक्ति को देखने की परेशानी होने लगती है। आइए आपको इस बीमारी के बारे में और इसके लक्षणों, कारणों और इलाज के बारे में और जानकारी देते हैं।
क्या है आंखों का लकवा या आई पैरालिसिस?
हमारी आंखों में 6 एक्स्ट्राऑक्युलर मसल्स (Extraocular muscles) पाए जाते हैं, जिसमें से 4 रेक्टाइ और 2 ऑबलिक मसल्स होते हैं । एक्स्ट्राऑक्युलर मसल्स के द्वारा ही आंखें मूव करती हैं। यानी कि एक्सट्राऑक्युलर मसल्स के संयोजन के कारण ही हम आंखों को दाएं- बाएं, ऊपर - नीचे या फिर क्लोकवाइज अथवा एंटीक्लोकवाइज घुमा सकते हैं । अगर किसी कारण से एक या एक से अधिक एक्स्ट्राऑक्युलर मसल्स में पूरी तरह या आंशिक रूप से लकवा हो जाता है तो फिर आइबॉल का मूवमेंट प्रभावित होता है । ऐसी स्थिति में मरीज चाहकर भी अपनी आइबॉल को गति में नहीं ला पाता है । इसी स्थिति को ऑक्युलर पैरालाइसिस या आंखों का लकवा कहा जाता है। इस विषय पर बलिया, बेगुसराय में कंसल्टेंट नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक कुमार ने बताया कि ऑक्यूलर पैरालिसिस में आई बॉल का रिस्ट्रिक्टेड मूवमेंट प्रभावित मसल्स पर निर्भर करता है। उन्होंने इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज भी बताए। डॉ. अभिषके कुमार 'कोरोना डायरी: इंडिया फाइट्स अगेंस्ट कोविड -19' के लेखक भी हैं।
आंखों के लकवा का लक्षण ( Symptoms of Eye Paralysis)
सभी तरह के ऑक्यूलर पैरालिसिस के लगभग कॉमन लक्षण होते हैं। एस एन मेमोरियल विजन केयर सेंटर के डॉक्टर अभिषेक कुमार ने यहां कुछ लक्षण बताएं हैं।
1. ऑक्यूलर पैरालिसिस में आइबॉल अचानक से एक ही दिशा में फिक्स हो जाती है या पलकें नीचे गिर जाती हैं।
2. ऑक्यूलर पैरालिसिस में शुरूआती लक्षण ऐसे भी होते हैं कि आंखों में तेज दर्द होता है। किसी-किसी मरीज में तेज दर्द के साथ आंखें लाल हो जाती है और आंखों से पानी निकलते रहता है ।
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3. जिस आंख पर प्रभाव पड़ा है उस आंख की ओर सिर में दर्द होना शुरू हो जाता है।
4. एक वस्तु का दो-दो दिखाई देना, जिसे डबल विजन कहते हैं। डबल विजन की समस्या इसलिए होती है क्योंकि जिस आंख पर लकवा पड़ा है वह रेटिना पर वैसा बिंदु नहीं बना पाती जैसा कोई हेल्दी आंख बनाती है। इसलिए दोनों आंखें कोर्डिनेट नहीं कर पातीं।
5. मरीज का जी भी मिचला सकता है और उसे चक्कर भी आ सकते हैं।
6. मरीज विभ्रम से भी ग्रसित हो सकता है।
7. पक्षाघाती भेंगापन की स्थिति भी हो सकती है, जिसमें आंखें किसी एक वस्तु को एक साथ नहीं देख पातीं। इसमें दोनों आंखें अलग-अलग दिशा में देखती हैं। इस वजह से दो आंखें दो अलग वस्तुओं पर ध्यान लगाती हैं औऱ दिमाग को दो अलग-अलग साइन मिलते हैं। भेंगेपन की समस्या तब होती है जब आंखों की मांसपेशियां आंखों को नियंत्रित करने के लिए ठीक से काम नहीं कर पातीं। यही वजह है कि दोनों आंखें एक साथ किसी एक वस्तु पर फोक्स्ड नहीं हो पातीं। पक्षाघाती भेंगापन सामान्य भेंगेपन से अलग होता है।
आंखों के लकवा का इलाज (Treatment of Eye Paralysis)
धैर्य बनाए रखें
यह एक इमरजेंसी है जिसमें डॉक्टर, मरीज और मरीज के परिवार वाले तीनों को धैर्य बनाए रखने की जरूरत होती है। जिस व्यक्ति को ऑक्यूलर पैरालिसिस की परेशानी हो रही है उसे तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। प्रारंभिक स्थिति में व्यक्ति आसानी से रोग से उबर सकता है और आंखों का डेविएशन भी ठीक हो सकता है।
थेरेपी से इलाज
सामान्यतः प्रारंभिक अवस्था पेन मैनेजमेंट के साथ स्टेरॉयड और मिथाइलकोबाल्मीन + पायरीडोक्सिन की थेरेपी बहुत प्रभावी होती है।
एक्सरसाइज और सर्जरी
आइबॉल के आंशिक विचलन को सिनेप्टोफोर एक्सरसाइज और प्रिज्म युक्त चश्मे से ठीक किया जा सकता है। अगर मरीज के आइबॉल का विचलन 6 महीने में भी सही नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में सर्जरी का विकल्प भी खुला रहता है ।
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आंखों को ऐसे रखें स्वस्थ
भागती-दौड़ती जिंदगी में बहुत मुश्किल है खुद के लिए समय निकाल पाना। तो वहीं तमाम गैजेट्स से खुद की आंखों को बचाए रखना भी मुश्किल है। ऐसे में आंखों से संबंधित परेशानियां आए दिन बढ़ रही हैं। डॉ. अभिषेक कुमार के मुताबिक आंखों को निम्न तरीकों से भी सेहतमंद रखा जा सकता है।
अच्छा खाएं
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में खाए जाने वाले फूड में हरी सब्जियां, विटामिन सी, ई, अंडा, बीन्स, संतरा, जूस आदि जोड़ा जा सकता है। कुल मिलाकर आंखों की अच्छी सेहत के लिए संतुलित भोजन करना है।
धूम्रपान छोड़ें
जितना जल्दी आप धूम्रपान करना छोड़ देंगे उतना जल्दी आपकी आंखों समस्याएं दूर होने लगेंगी। सिगरेट, बीड़ी पीने से ऑप्टक नर्व डैमेज होती है। इसके अलावा अन्य कई मेडिकल समस्याएं हो सकती हैं।
कंप्यूटर पर अधिक समय न बिताएं
आजकल कंप्यूटर, फोन आदि की स्क्रीन का इस्तेमाल ज्यादा बढ़ गया है। अधिक समय कंप्यूटर का इस्तेमाल करने पर आंखों में ड्राइनेस, तनाव, धुंधलापन आदि परेशानियां होती हैं। तो वहीं, सिर में दर्द, गर्दन, कंध और पीठ में भी दर्द होता है।
समय-समय पर डॉक्टर के पास जाएं
अगर रोज न हो सके तो महीने में एक बार आंखों के डॉक्टर के पास जरूर जाएं। समय-समय पर डॉक्टर के पास जाने से आंखों की ऐसी बीमारियां जिनके लक्षण जल्दी दिखते नहीं हैं वे भी पता चल जाते हैं।
कसरत करें
रोजना कसरत करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है जिससे आंखों का ऑक्सीजन लेवल ठीक रहता है।
पूरी नींद लें
नींद पूरी न होने पर आंखों पर असर दिखने लगता है। आंखें सूजी हुई दिखती हैं। तो वहीं पलकें भारी और सिर में दर्द रहता है। जब नींद पूरी होती है तो आप अच्छा महसूस करते हैं।
इन बातों का ध्यान रखकर और लक्षणों को पहचानकर सही समय पर इलाज के द्वारा आप आंखों की इस गंभीर समस्या से बच सकते हैं।
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