बॉडी डिटॉक्स क्या है, जानें शरीर को कब पड़ती है इसकी जरूरत

डिटॉक्सीफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम अपने शरीर की गंदगी को साफ करते हैं। डिटॉक्स, शरीर और दिमाग को स्वस्थ और तरोताजा रखने की प्रक्रिया है।

Atul Modi
Written by: Atul ModiUpdated at: Oct 28, 2018 00:00 IST
बॉडी डिटॉक्स क्या है, जानें शरीर को कब पड़ती है इसकी जरूरत

Onlymyhealth Dabur Vedic Tea

डिटॉक्सीफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम अपने शरीर की गंदगी को साफ करते हैं। डिटॉक्स, शरीर और दिमाग को स्वस्थ और तरोताजा रखने की प्रक्रिया है। इससे मानसिक तनाव और दूसरे विकार दूर भागते हैं और नई ऊर्जा का संचार होता है। बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन के कई तरीके हैं और कोई भी डिटॉक्स प्रोग्राम शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूरी है।

कब पड़ती है जरूरत

गंदगी सिर्फ हमारे आसपास ही मौजूद नहीं होती है बल्कि यह हमारे शरीर में भी होती है, इसके कारण ही कई प्रकार की बीमारियां जैसे- तनाव, अनिद्रा, कोल्‍ड एंड फ्लू, अपच, वजन बढ़ना जैसी कई समस्‍यायें होने लगती हैं। सीमय रहते इनका उपचार न किया जाये तो ये सामान्‍य बीमारियां गंभीर रूप ले सकती हैं। इसलिए इन सामान्‍य लक्षणों को जानकर इनका उपचार करना जरूरी है।

इसे भी पढ़ें:- हाई हील्स, गलत बॉडी पॉश्चर जैसी ये 5 आदतें आपके घुटनों के लिए हैं खतरनाक

अनिद्रा की समस्‍या

अगर आप भरपूर नींद नहीं ले पा रहें है, तो आपक शरीर में विषैले तत्वों का प्रवेश हो चुका है। इसे दूर करने का तुंरत ही उपया करें, भरपूर नींद लें। नींद ठीक से आई तो दिनभर फुर्ती बनी रहती है, वर्ना सिर भारी रहना, उबासियां आना, जी न लगना व इसी तरह के कई उपसर्ग होते रहते हैं।

आलस आना

दिनभर बेमन काम करना। किसी भी काम को करते समय ऊर्जा का अभाव बताता है कि शरीर में विषैलो तत्वों नें कब्जा कर लिया है। शराब, तले पदार्थ, चीनी, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोसेस्ड फूड आदि से परहेज करें। ज्यादा पानी पीना और हरी सब्जियां खाना अच्छा है। नियमित व्यायाम करें।

तनाव रहना

विषैले तत्वों के कारण तनाव बढ़ जाता है। तनाव शरीर की क्रियाओं को प्रभावित करता है। पर्यावरण प्रदूषण, कीटनाशकों से दूषित भोजन और यहां तक कि जंक फूड जो तनाव बढ़ाते हैं, जिससे शरीर और दिमाग दोनों प्रभावित होते हैं। यह तनाव शरीर में विषैले तत्वों का जमाव बढ़ाता है जिन्हें टॉक्सिक फ्री रैडिकल्स कहा जाता है। इन विषैले तत्वों का भारी मात्रा में एकत्र होना और विषैले तनाव का बना रहना ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कहलाता है।

वजन का बढ़ना

वजन बढ़ना भी शरीर में विषैला कचरा जमा होने का संकेत है। अमूमन खाने की अस्‍वस्‍थ व खराब आदतों वाले लोग इस समस्या से पीडित हैं। ऐसे लोग खाते-पीते ज्यादा हैं। ये लोग जितनी कैलोरी वाला खाना खाते हैं, उसमें से बहुत कम खर्च कर पाते हैं। नतीजतन शरीर कैलोरी ऊर्जा को चर्बी में के रूप में जमा कर मोटापा बढ़ाता है।उतना ही खाएं जितना आप खर्च कर सकते हैं। खानपान की चीजों से जुड़े कैलोरी ज्ञान को बढ़ाएं। साथ में खाने के मामले में खुद पर नियंत्रण करना सीखें।

इसे भी पढ़ें:- ये 6 आदतें उम्र से पहले बना रही हैं आपको बूढ़ा, लाइफस्टाइल में करें जरूरी बदलाव

पाचनतंत्र का खराब होना

आदत बड़ी महत्वपूर्ण है जो वाकई आपको सीधे संकेत देती है कि आप कुछ गलत कर रहे हैं। पेट में गैस, अपच, डकारे, जलन, दर्द, उल्टी-दस्त आदि लक्षण बताते हैं कि शरीर में जो कचरा बन रहा है वह बाहर नहीं निकल रहा है। आहार और आदतों के कारण कचरे पर कचरा जमा होकर विष बनता जा रहा है और शरीर की सफाई व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। पेट सभी बीमारियों की जड़ है। हम पेट से नहीं, पेट हमसे दु:खी होता है। पेट के साथ प्रयोग मत कीजिए। थोड़ा और अच्छा खाने की आदत डालिए, खासतौर पर रात का भोजन हल्का कीजिए।

अवसाद

विषैले तत्व शरीर की क्रियाओं को अवरोधित करते है। चिंता स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। इसके असर से शरीर का कोई भी अंग नहीं बच पाता। पेट, त्वचा, लीवर, फेफड़ों, दिल, मांसपेशियों और यहां तक कि मजबूत दांतों तक को नष्ट कर सकते हैं।चिंता की स्थिति में आते ही शरीर में तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कॉर्टिसॉल की मात्रा और अधिक बढ़ जाती है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Miscellaneous In Hindi

Disclaimer