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Perinatal Dengue: लुधियाना में बढ़ रहे पेरीनेटल डेंगू के मामले, जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव

पेरीनेटल डेंगू होने पर गर्भवती महिला को अपनी बहुत ज्यादा देखभाल करनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह को फॉलो करना चाहिए।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Nov 28, 2023 18:59 IST
Perinatal Dengue: लुधियाना में बढ़ रहे पेरीनेटल डेंगू के मामले, जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव

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What Causes Perinatal Dengue Explained In Hindi: डेंगू एक तरह का वायरल संक्रमण है, जो कि डेंगू वायरस (DENV) के कारण होता है, जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। जिस मच्छर के काटने से डेंगू होता है, वह मादा एडीज मच्छर है। आमतौर पर बरसात के दिनों में यह बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि इन दिनों गंदगी, ड्रेन में पानी जमा होता है। लेकिन, हाल के दिनों में हमने देखा है कि पंजाब के लुधियाना में डेंगू के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। विशेषकर, शहर में पेरीनेटल डेंगू के कई सारे केसेस सामने आए हैं। आपको बता दें कि जब गर्भवती महिला को डेंगू होता है, तो प्रसव के दौरान शिशु तक यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, ऐसे मामले कम ही देखे जाते हैं। इसके बावजूद, गर्भवती महिलाओं को अगर डेंगू हो जाए, तो उन्हें इस संबंध में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। उन्हें यह पता होना चाहिए कि आखिर पेरीनेटल डेंगू क्या होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव किस तरह संभव है।

गर्भवती महिला से शिशु को यह बीमारी कैसे हो सकती है?- Transmission Of The Dengue Virus From Mother To Baby

Transmission Of The Dengue Virus From Mother To Baby

मोहाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में Senior Consultant, Neonatalgy डॉ मनु शर्मा के अनुसार, "अगर गर्भवती महिला को डेंगू है, तो प्लेसेंटा के जरिए यह वायरस नवजात शिशु के डेंगू होने का कारण बन सकता है। अगर होने वाली मां को डेंगू पॉजिटिव है, तो डॉक्टर्स की जिम्मेदारी अजन्मे शिशु के प्रति बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इस कंडीशन में बच्चे की हेल्थ पर नजर रखी जाती है और एक्स्ट्रा केयर भी की जाती है। साथ ही, जरूरी सावधानियां भी बरतने के लिए कहा जाता है। वैसे, तो यह देखा जाता है कि 60 से 70 फीसदी महिलाएं डेंगू से रिकवर हो जाती हैं। इसके बावजूद, 10 में से कम से कम 3 महिलाओं को इसके रिस्क से गुजरना पड़ता है। कई बार, यह बहुत ही ज्यादा घातक साबित हो जाता है। डेंगू न सिर्फ मां के लिए बल्कि कभी-कभी अजन्मे बच्चे के लिए भी जानलेवा हो सकता है।"

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पेरीनेटल डेंगू के लक्षण- Symptoms Of Perinatal Dengue In Hindi

Symptoms Of Perinatal Dengue In Hindi

वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता गुप्ता कहती हैं, "डेंगू के लक्षणां के बारे में हम सब जानते हैं। इसमें सांस लेने में दिक्कत होना, प्लेटेलेट काउंट कम होना, बहुत तेज बुखार आना, सिर दर्द होना, उल्टी आना, मांसपेशियों में दर्द होना, स्किन में रैशेज हो जाना जैसे लक्षण शामिल हैं। अगर महिला की कंडीशन ज्यादा बिगड़ गई और मां को डेंगू शॉक सिंड्रोम डेवेलप हो गया, तो यह घातक साबित हो सकता है। इसकी वजह से डिलीवरी में दिक्कतें आ सकती हैं, जो कि शिशु की मृत्यु का कारण भी बन सकता है। कई मामलों में यह भी देखा जाता है कि महिलाएं शॉक सिंड्रोम डेवेलप होने के बावजूद स्वस्थ बच्चे को जन्म दे देती है, लेकिन मरीज की हालत बिगड़ जाती है। यहां तक कि डेंगू शॉक सिंड्रोम से बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है, ऑर्गन फेल होने लगता हैं और दूसरे तरह के हेल्थ रिस्क भी पैदा हो जाते हैं।"

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पेरीनेटल डेंगू से बचाव- Preventions Of Perinatal Dengue In Hindi

डॉ मनु शर्मा कहते हैं, "पेरीनेटल डेंगू से तभी बचा जा सकता है, जब होने वाली मां डेंगू से बचाव करे। डब्लूएचओ की मानें, तो डेंगू से बचने के लिए इसे मैनेज किया जाना चाहिए। जब भी घर से बाहर निकलें, खुद को ढककर निकलें, दिन में सोते समय मच्छरदानी का यूज करें या फिर मस्कीटो कॉयल यूज करें। इसके अलावा, शाम के समय खिड़की या पर्दे लगाकर रखें और घर के दरवाजों को भी बंद रखें। अगर किसी वजह से गर्भवती महिला को डेंगू हो जाता है, तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में आराम करना चाहिए, हेल्दी लिक्विड डाइट लेना चाहिए और डॉक्टर द्वारा दी गई, दवाइयों का समय पर सेवन करना चाहिए। वहीं, अगर आपको कोई गंभीर लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपना इलाज करवाना चाहिए।" यहां बताए गए उपायों को आजमाकर आप भी पेरीनेटल डेंगू से बचाव कर सकते हैं और अपने होने बच्चे को भी इस गंभीर बीमारी के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

image credit: freepik

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