आपने ये देखा होगा और महसूस किया होगा कि कई बच्चों को आंखों में खुजली, लालीपन और आंखों से पानी आने की शिकायत होती है। असल में वो एक बीमारी है जिसे एलर्जिक आई डिजीज या स्प्रिंग कटार (Vernal keratoconjunctivitis) कहा जाता है। यह बीमारी बच्चों में आम है। ये बीमारी क्यों होती है, इससे कैसे बचाव किया जाए इसके लिए जमशेदपुर के आईं स्पेशल्सिट जुगसलाई के डॉक्टर विवेक से जानते हैं कि यह बीमारी क्यों होती है। इसके बारे में जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
बेहद सामान्य एलर्जिक बीमारी है वीकेसी
डॉक्टर बताते हैं कि एलर्जिक आई डिजीज या स्प्रिंग कटार (वीकेसी) बेहद ही सामान्य बीमारियों में से एक है। ये ज्यादातर बच्चों को होती है। इस कारण आंखों में खुजली होना, आंखों से डिस्चार्ज (धागायुक्त डिस्चार्ज होना), लालीपन, आंखों से कम दिखना, आंखों में थकान का एहसास जैसे इस लक्षण इस बीमारी के कारण देखने को मिलते हैं। आंखों में कोई भी दिक्कत होने पर डॉक्टरी सलाह लें। बिना डॉक्टर सलाह के आंखों में दवा न डालें, नहीं तो काफी नुकसानदेह हो सकता है।
क्या है वीकेसी
डॉक्टर बताते हैं कि वीकेसी को (Vernal keratoconjunctiviti) कहा जाता है। यह बच्चों को होने वाली बेहद ही सामान्य एलर्जिक समस्या है। खासतौर पर गर्मियों के मौसम में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे में बच्चे लगातार अपने आंखों को मलते रहते हैं। यदि उनमें इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे तो आपको डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर मरीज को कुछ दवा देते हैं। जिसमें ड्रॉप देकर मरीज का इलाज करते हैं। बीमारी ज्यादा सीवियर हो तो टेबलेट देकर और इससे भी ज्यादा बीमारी गंभीर हो जाए तो मरीज की आंखों में इंजेक्शन देकर इलाज किया जाता है।
इसे भी पढ़ें : आंखों के अंदर ट्यूमर (ऑर्बिटल ट्यूमर) के क्या हो सकते हैं कारण? डॉक्टर से जानें इसके लक्षण और इलाज के तरीके
कई लोग नहीं लेते डॉक्टरी सलाह
डॉक्टर बताते हैं कि इस बीमारी के होने पर कई पैरेंट्स जागरूकता के अभाव में डॉक्टर को दिखाते ही नहीं हैं। वहीं पास के केमिस्ट की दुकान से दवा खरीदकर आंखों में डालते हैं, बता दें ऐसा करने से न केवल बीमारी बढ़ेगी बल्कि आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में लोगों को जागरूक होने की जरूरत है ताकि बीमारी का उपचार आई स्पेशलिस्ट को दिखाकर किया जा सके।
ये एलर्जिक समस्या है
डॉक्टर बताते हैं कि ये बीमारी एलर्जिक बीमारी की श्रेणी में आती है। ऐसे में संभव है कि जिसे ये बीमारी होती है उन्हें 18 साल की उम्र तक यह बीमारी होने की संभावना होती है। इससे घबराना नहीं है, क्योंकि इस बीमारी का नेचर ही यही होता है।
इसे भी पढ़ें : सूरज की तेज रोशनी के कारण आंखों में हो सकती हैं ये 5 बीमारियां, जानें बचाव के टिप्स
इस बीमारी में बर्फ की सेकाई है कारगर
जिन बच्चों को ये बीमारी होती है उसके लिए आई स्पेशलिस्ट बताते हैं कि उन्हें आंखों के ऊपर यदि बर्फं की सेकाई की जाए तो इससे उसे काफी सहज महसूस होता है। मरीज को ठंडे वातावरण में रखें तो बच्चा अच्छा महसूस करेगा। यदि आपके घर में एसी है तो बच्चे को एसी में रखें इससे आपका बच्चा अच्छा महसूस करेगा।
इस बीमारी में फोटोफोबिया की दिखती है समस्या
डॉक्टर बताते हैं कि जिन बच्चों को ये बीमारी होती है। उनको फोटोफोबिया की समस्या दिख सकती है। ऐसे बच्चों को रोशनी आंख पर पड़ने से भारीपन का एहसास होता है, उन्हें अंधेरे में रहना अच्छा करता है। इसके लिए आप चाहें तो बीमारी से जूझ रहे बच्चे को चश्मा दे सकते हैं। इससे उन्हें अच्छा महसूस होगा।
ये बीमारी है काफी सामान्य
डॉक्टर बताते हैं कि ये बीमारी काफी सामान्य है ऐसे में पैरेंट्स डॉक्टर से बच्चे को नहीं दिखाते। इस कारण बच्चे को काफी दिक्कत होती है। जरूरी है कि इस बीमारी के होने पर बच्चे को डॉक्टरी सलाह दें ताकि उसका इलाज किया जा सके। न कि दवा खरीदकर बिना डॉक्टरी सलाह के बच्चो को दें, ऐसा करना काफी घातक हो सकता है। जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चों की बीमारी को लेकर जागरूक हो।
>Read More Articles On Children