क्या कभी आपने किसी हंसते-खेलते, बेफिक्र बच्चे को अचानक से चुप हो जाते, दूसरों से बात करने से डरते या उनके व्यवहार में अचानक बदलाव आना महसूस किया है? अगर हां, तो ये उनके स्ट्रेस में होने का एक संकेत है। जी हां, बड़ों की तरह बच्चों को भी तनाव से जुझना पड़ता है और सही समय, सही तरीके से इस तनाव से बच्चे को बाहर न निकलने के कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा सकता है। लेकिन कुछ तरह के तनाव बच्चों में ऐसे होते हैं, जो उनके विकास के लिए जरूरी होता है। लेकिन किस तरह का स्ट्रेस बच्चे के लिए जरूरी है, और कौन सा बच्चे के दिमाग पर गलत प्रभाव डाल सकता है, ये जानने के लिए थेरेपिस्ट रीरी त्रिवेदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
बच्चों में तनाव के प्रकार - Types of Stress in Kids in Hindi
बच्चों में सकारात्मक तनाव - Positive Stress in Kids in Hindi
यह एक प्रकार का तनाव है जो बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए सामान्य और आवश्यक है। इसे यूस्ट्रेस भी कहा जाता है, यह एक ऐसा तनाव है, जो बच्चों को एग्जाम की तैयारी करने, ध्यान केंद्रित करने, और नई चीजों को आजमाने के लिए प्रेरित कर सकता है। यह स्ट्रेस बच्चों को तब हो सकता है, जब उन्हें ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़े, जिसके बारे में उन्हें पहले से पता हो, और ये विश्वास हो की वो उस चुनौती को पूरा कर पाएंगे।
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सहनीय तनाव - Tolerable Stress in Kids in Hindi
यह बच्चों में तनाव का एक ऐसा प्रकार है जो उनके लिए अस्वस्थ होता है लेकिन एक किसी बड़े के कारण इसे प्रबंधित किया जा सकता है जो उन्हें इससे निपटने में मदद करता है। यह तनाव बच्चे में लंबे समय तक रह सकता है और इससे उबरने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ सकता है। किसी अपने को खोना, कोई गंभीर चोट लगना, या अन्य डर या खौफ के कारण बच्चों में यह तनाव रहता है।
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टॉक्सिक तनाव - Toxic Stress in Kids in Hindi
बच्चों में तनाव का यह एक ऐसा प्रकार है जो सबसे ज्यादा अनहेल्दी और दर्दनाक होता है, जिसमें बच्चा लगातार तनाव की स्थिति में रहता है और इससे निपटने के लिए उसके पास कोई वयस्क सहायता भी नहीं होती है। इस तनाव के कारण बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है, वो उन सदमों से नहीं उबर पाता है, जिसके कारण शिक्षा, खेल या अन्य गतिविधियों में पीछे रह जाता है, लोगों से अलग रहने लगता है।
अपने बच्चे के तनाव के प्रकार को समझकर आप उसे एक हेल्दी लाइफ देने में मदद कर सकते हैं। किसी भी तरह के हालात में अपने बच्चे को अकेला न छोड़े, और उन्हें समझने की कोशिश करें।
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