एचआईवी पॉजिटिव जो आगे चलकर एड्स (Aids- Acquired Immunodeficiency Syndrome) में बदल जाता है। यदि कोई इस बीमारी से ग्रसित हो जाए तो डिप्रेशन में जाने की बजाय व यह सोचने की बजाय कि आगे क्या होगा, मैं जिंदा रहूंगा या नहीं, मेरे बाद मेरे परिवारवालों का क्या होगा... यह सोचना चाहिए कि इस बीमारी के साथ मैं लंबे समय तक कैसे जी सकता हूं। इस आर्टिकल में हमारा विषय भी यही है। वैसे तो यह बीमारी लाइलाज है और इसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर इसे धीमा जरूर किया जा सकता है। बशर्ते बीमारी से पीड़ित लोगों को खानपान से लेकर शरीर पर सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। बीमारी के साथ कई लोग हैं जो 15-20 साल या इससे भी अधिक समय तक जिंदा रहते हैं। एक्सपर्ट से जानने की कोशिश करते हैं कि बीमारी से सुरक्षित कैसे रहें और यदि बीमारी हो गई तो उससे हार मानने की बजाय डटकर कैसे सामना करें। ताकि लाइफ को बढ़ा सकें। झारखंड में राज्य सरकार के कार्यक्रमों के तहत एचआईवी पीड़ितों के लिए काम कर रहे और जमशेदपुर के गोविंदपुर के जनरल फिजिशियन डॉ. नागेंद्र शर्मा के अनुसार जाने एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को क्या करना चाहिए।
मरीज का इलाज के साथ काउंसलिंग है बेहद जरूरी
डॉ. नागेंद्र शर्मा बताते हैं कि एक बार कोई एचआईवी से ग्रसित हो जाए तो जीवन भर उसे इस बीमारी के साथ रहना पड़ता है। सबसे पहले उसकी काउंसलिंग करना बेहद ही जरूरी होता है। डॉ. नागेंद्र ने बीते समय में जगह-जगह पर कैंप लगाकर लोगों को एचआईवी के बारे में जागरूक करने के साथ मरीजों की पहचान कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा। आज के समय में सभी लोगों के मन में एक ही बात आती है कि एचआईवी पॉजिटिव होना लाइलाज है, यह सही भी है। लेकिन कई बीमारियां जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर सहित अन्य यह भी तो लाइलाज हैं, लोगों को इन बीमारियों के साथ जीना सीखना होगा। जरूरी है इन बीमारियों के साथ जीने की आदत डेवलप करना। बीमारी का पता चलने के बाद सबसे पहले मरीज को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश करते हैं। बताते हैं कि सरकारी अस्पताल में कहां दवा मिलेगी, आप किन डॉक्टरों से परामर्श ले सकते हैं और अब आपको अपनी सेहत पर किस प्रकार ध्यान देना है। एचआईवी से ग्रसित मरीज को सामान्य लोगों की तुलना में शरीर पर काफी ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
शुरुआत में ही बीमारी का पता लगाएं
डॉ. नागेंद्र बताते हैं कि भारतीय लोगों की सोच में काफी अंतर है। यहां के मीडिल क्लास के लोग पैसों की तंगी, अपर्याप्त सुविधाओं की वजह से जब बीमार होते हैं तभी डॉक्टर के पास जाते हैं। जरूरी यह है कि लोगों को समय-समय पर शरीर का रूटीन चेकअप कराते रहना चाहिए। चाहे कोई कितना भी कमाए उसे अपने बजट में से हेल्थ के लिए पैसे जरूर निकालने चाहिए। शुरुआत में ही बीमारी का पता लग जाए तो हम जितना जल्दी अपने शरीर की सुरक्षा करेंगे उतना जल्दी हमारे सेहत के लिए यह फादेमंद साबित होगा। एचआईवी पॉजिटिव मरीज ही आगे चलकर एड्स की बीमारी से ग्रसित होते हैं। उनमें शुरुआती दिनों में किसी प्रकार के लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसा हो सकता है जब एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद 8 से 10 साल तक मरीज में किसी प्रकार का लक्षण ही न दिखे। यहां लोगों को समझने जरूरत है कि उन्हें जितनी जल्दी बीमारी का पता चलेगा वो उतनी ही जल्दी इसका इलाज करवा सकते हैं। 8-10 साल के बाद मरीज में कुछ लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे;
- बार-बार बुखार का आना
- वजन का गिरते रहना (यह मुख्य लक्षण है)
- लंग्स इंफेक्शन होना और बार-बार होना
- कोई भी बीमारी ऐसे मरीजों को आसानी से होती है और बार-बार बीमार पड़ते हैं
- मुंह में छाले पड़ना
- बार-बार डायरिया से ग्रसित होना
- लिंफ नोड (शरीर में गांठ)
- स्किन में रैशेज की समस्या
- थ्रोट इंफेक्शन की समस्या
यदि किसी मरीज ने एचआईवी की जांच नहीं कराई है और उसे ऐसे लक्षण आ रहे हैं व वो बार-बार बीमार पड़ता है तो उसे एक्सपर्ट की सलाह लेकर डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
डाइट पर दें ध्यान
एचआईवी पॉजिटिव मरीज को लंबे समय तक जिंदा रहने के लिए उसे डाइट मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए। डॉ. नागेंद्र बताते हैं कि उन्हें खाने में फास्टफूड को पूरी तरह से परहेज कर देना चाहिए। खाने में उबला हुआ खाना, कम मात्रा में तेल का सेवन करने के साथ हरी सब्जियों व फलों के साथ पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि बासी भोजन का सेवन न करें। ज्यादा खाने की बजाय भूख से थोड़ा कम मात्रा में खाना खाएं।
एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी पर दें ध्यान
एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (Antiretroviral Therapy) के बारे में डॉ. नागेंद्र बताते हैं कि इसके जरिए एचआईवी का इलाज किया जाता है। यह दो व उससे अधिक दवा का मिश्रण है। डॉक्टर एचआईवी पॉजिटिव मरीज को दवा का सेवन करने की सलाह देते हैं। ऐसा बीमारी को ठीक करने के लिए या फिर उसे लंबे समय तक टालने के लिए किया जाता है। जरूरी है कि बिना एक्सपर्ट की सलाह लिए इस प्रकार की दवा का सेवन न करें। वैसे इस दवा का सेवन वायरस को दबाने के लिए किया जाता है। ताकि बीमारी का असर जल्द न हो।
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लाइफस्टाइल में बदलाव कर
डॉ. नागेंद्र बताते हैं कि लाइफस्टाइल में बदलाव करने का अर्थ यहां तय समय पर सोना, समय से उठना। पर्याप्त नींद लेना, खाने में पौष्टिक आहार, बाहर का खाना व जंक फूड का परहेज करने के साथ स्ट्रीट फूड का सेवन नहीं करने से है। वहीं वैसे मरीज जिन्हें बीमारी का पता चल जाए उनको समय पर दवा का सेवन करने के साथ डॉक्टर द्वारा बताई गई बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस बीमारी का शुरुआती दिनों में पता चल जाए तो स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। ऐसे में इलाज भी जल्द शुरू होगा और डॉक्टर के मार्गदर्शन में मरीज उनके बताए बातों का समय से पालन करेगा।
नशा न करें
एक्सपर्ट बताते हैं कि वैसे तो हर किसी को नशा का सेवन नहीं करना चाहिए, लेकिन एचआईवी पॉजिटिव होने पर लोगों को नशा से परहेज कर लेना चाहिए। शराब, गुटका, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि सामान्य लोगों की तुलना में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों में बीमारी होने की संभावना काफी अधिक होती है।
नियमित करें एक्सरसाइज
एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद भी मरीज वर्षों तक सामान्य लोगों की ही तरह रहता है। जबतक बीमारी गंभीर नहीं हो जाती तबतक मरीज में कोई खास लक्षण नहीं दिखते हैं, ऐसे में जरूरी है कि शरीर को तंदुरूस्त बनाया जाए। इसके लिए लोगों को नियमित एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। डॉ. नागेंद्र बताते हैं कि एक्सरसाइज ऐसा विकल्प है जिसे कर हम हमारी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बढ़ा सकते हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को एक्सरसाइज पर काफी फोकस करना चाहिए। वजन को नियंत्रण में रखते हुए बीमारियों से दूर रहना चाहिए। ऐसा कर लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए। एक्सरसाइज के अलावा योगा व मेडिटेशन भी करना चाहिए।
जितना संभव हो इंफेक्शन से बचें
सामान्य लोगों की तुलना में इस बीमारी से पीड़ित लोगों में छोटे से छोटा इंफेक्शन आसानी से होने की संभावना रहती है। डॉक्टर बताते हैं कि इससे बचाव के लिए काफी ध्यान दें। मौसम बदले तो घर पर रहें, किसी भी संक्रमित व बीमार व्यक्ति के करीब जानें से बचें।
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ऐसे होती है यह बीमारी (एड्स)
- संक्रमित के साथ असुरक्षित यौन संबंध कायम करने से
- संक्रमित को सूई लगाने के बाद उसका दोबारा इस्तेमाल करने से
- संक्रमित का खून किसी सामान्य व्यक्ति को चढ़ाने से
- संक्रमित मां से शिशु को (इसे रोका भी जा सकता है, डॉक्टरी सलाह लें)
- संक्रमित व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स
रेगुलर चेकअप व डॉक्टरी सलाह है जरूरी
आम से लेकर खास लोगों के लिए जरूरी है कि वो समय-समय पर डॉक्टरी सलाह लें और फुल बॉडी चेकअप कराएं। ऐसा करने से शरीर में होने वाली कई बीमारियों का पता चलता है। बीमारी का उपचार भी जल्द शुरू हो सकता है। एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद मरीज को घबराने की जरूरत नहीं है उसे संयम से काम लेने की आवश्यकता है। डॉक्टर के सुझाव के अनुसार लाइफस्टाइल, खानपान व दवाओं का सेवन कर बीमारी को कंट्रोल करने के साथ इसे लंबे समय के लिए टाला जा सकता है।
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