आंखें शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक है क्योंकि इनके पीछे बहुत महीन टिशूज होते हैं। आंखों की परेशानियों को कई बार छोटी परेशानी मानकर नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। चलती हुई चीजें दिखना या आंखों के आगे अंधेरा छा जाना ऐसी ही छोटी समस्याएं हैं, जिन्हें अक्सर आप आंखों की थकान मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। मगर ये सामान्य से दिखने वाले लक्षण आंखों के पर्दे में सूजन की वजह से भी आपको महसूस हो सकते हैं। आंखों के पर्दे की सूजन को मेडिकल की भाषा में मैक्युलर इडिमा कहते हैं। ये एक खतरनाक रोग है, जो लोगों को अंधा भी बना सकता है। आइए आपको बताते हैं इस रोग के बारे में।
क्या है आंखों में पर्दे की सूजन
आंखों में पर्दे की सूजन यानी मैक्युलर इडिमा एक खतरनाक रोग है। इस रोग में रेटिना के केंद्र वाले भाग, जिसे मैक्युला कहा जाता है, में फ्लुएड यानी तरल का जमाव हो जाता है। रेटिना हमारी आंखों का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है, जो बहुत सारी कोशिकाओं की एक संवेदनशील परत से बना होता है। रेटिना के पिछले भाग में मौजूद मैक्युलर वह हिस्सा है, जो हमें दूर की वस्तुओं और रंगों को देखने में सहायता करता है। जब किसी कारण से आंखों की रेटिना में तरल पदार्थ ज्यादा हो जाता है, तो आंखों के पर्दे पर सूजन आने लगती है। इसी रोग को मैक्युलर इडिमा कहते हैं।
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कितना खतरनाक है मैक्युलर इडिमा
मैक्युलर इडिमा के कारण आमतौर पर देखने में परेशानी हो सकती है और आंखों में दर्द और सूजन की शिकायत हो सकती है। मगर इसका समय पर इलाज किया जाना जरूरी है अन्यथा जल्दी ही ये आंखों के अंधेपन का भी कारण बन सकता है। मैक्युलर इडिमा के लक्षण दिखने पर चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना जरूरी है।
क्या हैं मैक्युलर इडिमा के लक्षण
शुरुआती स्टेज में जब रेटिना में तरल पदार्थ बढ़ना शुरू होता है तब आमतौर पर कोई खास लक्षण नहीं नजर आते हैं। कभी-कभी आंखों कुछ सेकंड या सेकंड से भी कम समय के लिए आंखों के आगे अंधेरा छा सकता है और कई बार हल्का-फुल्का दर्द महसूस हो सकता है। मग जब सूजन बढ़ जाती है और रक्त नलिकाएं ब्लॉक होने लगती हैं, तब चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं। सूजन जितनी ज्यादा और गंभीर होगी, उतना ही अधिक धुंधला और अस्पष्ट दिखाई देता है। इसके साथ ही मैक्युलर इडिमा के निम्न लक्षण हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
- आंखों के आगे अंधेरा छा जाना।
- चीजें हिलती हुई या चलती हुई दिखाई देना।
- पढ़ने में कठिनाई होना।
- चीजों के वास्तविक रंग न दिखाई देना।
- दृष्टि विकृत हो जाना। सीधी रेखाएं,टेढ़ी दिखाई देना।
- आंखों के पर्दे का तेज रोशनी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाना।
किन लोगों को होता है मैक्युलर इडिमा का खतरा
वैसे तो अलग-अलग कारणों से इस रोग का खतरा हर उम्र के लोगों को होता है मगर इस बीमारी का असर सबसे ज्यादा डायबिटीज के रोगियों को और बड़ी उम्र के लोगों को होता है। कई बार उन लोगों को भी इसका खतरा होता है, जिनके परिवार में आंखों के रोगों का इतिहास रहा हो। आमतौर पर ये रोग निम्न कारणों से हो सकता है।
- सबसे ज्यादा खतरा डायबिटीज के मरीजों को होता है।
- रक्त वाहिनियों से जुड़े रोगों में
- कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण
- बढ़ी हुई उम्र के कारण (एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन)।
- जेनेटिक कारणों से (रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा)।
- आंख में ट्यूमर हो जाने के कारण
- मैक्युला में छेद हो जाने के कारण
- रेडिएशन के कारण रेटिना की महीन शिराओं में अवरोध होने पर।
- आंख में गंभीर चोट लग जाने पर।
- आंखों की सर्जरी, जैसे मोतियाबिंद, ग्लुकोमा या रेटिना संबंधी मामलों में हुई सर्जरी में।
मैक्युलर इडिमा का इलाज
आंखों के पर्दे में सूजन दिखाई देने पर या मैक्युलर इडिमा के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर कई तरह की जांच के लिए कहते हैं और इस रोग की पुष्टि हो जाने पर मैक्युला और उसके आसपास असामान्य रक्त वाहिकाओं से तरल के अत्यधिक रिसाव को ठीक किया जाता है। मैक्युलर इडिमा के उपचार में दवाएं, लेजर और सर्जरी प्रभावी होते हैं, पर इंट्राविट्रियल इंजेक्शन (आईवीआई) सबसे प्रचलित है। यदि मैक्युलर इडिमा एक ही जगह पर है तो फोकल लेजर किया जा सकता है।
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