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शीत ऋतु में स्वस्थ रहने के लिए जरूर करें जीवनशैली से जुड़े ये बदलाव, आयुर्वेदाचार्य से जानें

आयुर्वेद के अनुसार बदलते मौसम में शरदऋतुचर्या को समझें। इससे आप बीमार होने से बच सकते हैं। 

Vikas Arya
Written by: Vikas AryaUpdated at: Nov 23, 2023 08:00 IST
शीत ऋतु में स्वस्थ रहने के लिए जरूर करें जीवनशैली से जुड़े ये बदलाव, आयुर्वेदाचार्य से जानें

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मौसम में बदलाव होते ही लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण का खतरा अधिक होता है। जबकि, जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है उनको सर्दी, बुकार, खांसी, बदन दर्द, गले में दर्द आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आयुर्वेद लोगों को ऋतु के अनुसार दिनचर्या में बदलाव की सलाह देता है। इस बदलाव को शरद ऋतुचर्य कहते हैं। ओनली माय हेल्थ की ओर से सभी पाठकों को आयुर्वेद के पूर्ण जानकारी देने के लिए हमने "आयुरोग्य विद आयुर्वेद" नाम की सीरीज शुरू की है। इस सीरीज के नए अंक में आज आपको सर्दियों में लाइफस्टाइल में किए जाने वाले बदलावों के बार में जानेंगे। इन विषय के बारे में जानने के लिए हमने मध्यप्रदेश में कार्यरत सरकारी आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (BAMS, DNHE, YIC) से बात की। डॉक्टर गर्ग ने सर्दियों में लाइफस्टाइल और डाइट में किये जाने वाले बदलावों के बारे में विस्तार से बताया। 

आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (Instagram-Vaidik_era_ayurveda) ने बताया कि आयुर्वेद में समय के साथ शरीर के खानपान और रहन-सहन में बदलाव के बारे में बताया जाता है। इससे लोगों को कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है। दरअसल, ऋतु के बदलने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, इन बदलावों के अंतगर्त ही व्यक्ति को खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव करने की आवश्यकता होती है। यदि, इन बदलावों पर ध्यान न दिया जाए तो व्यक्ति का पित्त दोष बढ़ सकता है। साथ ही, संक्रमण व अन्य रोगों का खतरा बढ़ जाता है। आगे जानते हैं शरद ऋतुचर्या में किस तरह के बदलावों की आवश्यकता होती है। 

शरद ऋतुचर्या (शरद ऋतु मौसमी दिशानिर्देश) - Sharad Ritucharya in Hindi

शरद ऋतु वह ऋतु है जब आकाश बिना बादलों के साफ रहता है, तो शरद ऋतु में पित्त दोष बढ़ जाता है (यही कारण है कि इस मौसम में त्वचा की एलर्जी, एसिड पेप्टिक विकार, मूत्र संक्रमण, बुखार काफी आम हैं)।

sharad ritucharya in hindi

शरद ऋतु में डाइट में बदलाव 

  • अनाज: गेहूं, चावल और जौ - चावल सफेद होना चाहिए, भूरा चावल उपयुक्त नहीं माना जाता है। 
  • जौ मीठा: यह मूत्रवर्धक है। इसलिए यह इस मौसम में एक अच्छा माना जाता है। जब पित्त की वृद्धि के कारण पानी अधिक होता है तो इसका सेवन कर सकते हैं।
  • दाल: इस मौसम में हरा चना उत्तम रहता है। तुवर का प्रयोग कम मात्रा में किया जा सकता है। हमें इस मौसम में चना, राजमा, उड़द आदि का सेवन कम करना चाहिए। 
  • सब्जियों का सुझाव दिया जाता है: परवल, लौकी, करेला, लौकी खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि वह कसैला स्वाद लिए होती हैं।
  • करेला, मेथी आदि जैसे कड़वे पदार्थ कम मात्रा में खा सकते हैं।
  • रतालू (सूरन), मूली आदि जैसी सब्जियां ली जा सकती हैं। गाजर, चुकंदर आदि मध्यम मात्रा में ले सकते हैं।
  • पचने में भारी सब्जियां जैसे आलू आदि का सेवन कम करना चाहिए। 
  • ब्रोकोली, फूलगोभी, पत्तागोभी जैसी गैस पैदा करने वाली सब्जियों का सेवन कम करना चाहिए। साथ ही इनको घी के साथ अच्छी तरह से पकाना चाहिए।
  • पानी को उबालकर फिर ठंडा करके पीना चाहिए।
  • पानी को कांच की बोतल में भरकर सूर्य की किरणों में रखें और फिर इस पानी को चंद्रमा की किरणों में रखें, इस पानी को हंसोदक कहा जाता है और इसमें औषधीय गुण होते हैं। इस पानी का उपयोग आप पीने और नहाने के लिए कर सकते हैं।
  • पानी पीने और खाना खाने के लिए चांदी के बर्तनों का उपयोग करने का यह सबसे अच्छा समय है।

किन चीजों से परहेज करना चाहिए। 

  • शराब, कॉफी, सिरका और मसालेदार भोजन।
  • पचने में भारी, चिकना और तीखा भोजन और मिर्च।
  • लाल मांस और अत्यधिक पशु उत्पाद। 

शरद ऋतु के लिए जीवनशैली में बदलाव - Lifestyle changes in Sahradritucharya In Hindi 

  • इस मौसम में विरेचन और रक्तमोक्षण जैसी आयुर्वेदिक उपचारों की सलाह दी जाती है। स्वस्थ लोगों को अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इसे अवश्य करना चाहिए।
  • इस ऋतु में, आराम, सुगंध और जल-आधारित गतिविधियों के माध्यम से पित्त को नियंत्रित करने पर ध्यान दिया जाता है। 
  • शरद ऋतु में शाम को चंद्रमा में कुछ बैठने की सलाह दी जाती है। 

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शरद ऋतु के बाद से हम नई फिटनेस योजना बनाना शुरू कर सकते हैं। यह बदलाव बालों, त्वचा या प्रजनन फिटनेस पर भी काम कर सकते हैं। आयुर्वेद के से जुड़ी जानकारियों को जानने के लिए आप आप ओनलीमाय हेल्थ से जुड़े रहें। इसमें आगे अन्य बीमारियों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को विस्तार से बताया जाएगा। 

 

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