असमान त्वचा पिग्मेंटेशन (pigmentation) या हाइपरपिग्मेंटेशन (Hyperpigmentation) त्वचा से जुड़ी आम शिकायत है। कई लोग इसे डार्क स्पॉट्स समझ लेते हैं, जो आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता ही चला जाता है। त्वचा के ये गहरे पैच चेहरे, हाथों और शरीर के अन्य हिस्सों पर नियमित रूप से सूरज के संपर्क में आने से बढ़ने लगते हैं। गुरुग्राम के डॉ. गुरी स्किन क्लीनिक्स के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सी,एम गुरी की मानें, तो हाइपरपिग्मेंटेशन एक आम, आमतौर पर हानिरहित स्थिति है जिसमें त्वचा के पैच सामान्य आसपास की त्वचा की तुलना में गहरे रंग के हो जाते हैं। यह कालापन तब होता है जब स्किन में मेलेनिन की अधिकता हो जाती है। तब भूरे रंग का रंगद्रव्य जो सामान्य त्वचा का रंग पैदा करता है, त्वचा में जमा करता है। हाइपरपिग्मेंटेशन जीवनशैली में बदलाव और वातावरण में पॉल्यूशन के बढ़ने के कारण बढ़ता ही जा रहा है। ये किसी भी प्रकार के स्किन वाले लोगों के लिए फायदेमंद नहीं है। वहीं इन दिनों सूरज से निकलने वाली यूवी रेज और पॉल्यूशन के कारण लोगों में हाइपर पिगमेंटेशन (Hyperpigmentation)की परेशानी बढ़ती ही जा रही है।
पिंग्मटेशन या हाइपरपिग्मेंटेशन के कारण -Causes of Hyperpigmentationहाइपरपिग्मेंटेशन मेलेनिन के बढ़ने के कारण होता है। मेलेनिन एक प्राकृतिक रंगद्रव्य है जो हमारी त्वचा, बालों और आंखों को उनका रंग देता है। कई कारक मेलेनिन उत्पादन में वृद्धि को ट्रिगर कर सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से सूर्य की हानिकारक किरणें, हार्मोनल प्रभाव, उम्र और त्वचा की चोट या सूजन इनके बड़े कारणों में से एक है। आइए समझते हैं इन्हें विस्तार से।
सूरज की रोशनी मेलेनिन के उत्पादन को ट्रिगर करती है और हाइपरपिग्मेंटेशन को बढ़ाती है। मेलानिन आपको हानिकारक यूवी किरणों से बचाकर आपकी त्वचा की प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में कार्य करता है, यही वजह है कि जो लोग धूप में ज्यादा तपते हैं उनमें हाइपरपिग्मेंटेशन और अधित हो सकता है। एक बार पिगमेंटेशन शुरू होने के बाद ये बढ़ती हुई उम्र के साथ और गहरा हो सकता है।
उम्र बढ़ने के साथ त्वचा में भी बदलाव आने लगता है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ मेलेनिन-उत्पादक कोशिकाओं मेलानोसाइट्स की संख्या कम हो जाती है लेकिन शेष आकार में वृद्धि होती है और उनका वितरण अधिक केंद्रित हो जाता है। ये शारीरिक परिवर्तन 40 से अधिक उम्र के लोगों में उम्र के धब्बों को बढ़ाते हैं।
हार्मोनल प्रभाव एक विशेष प्रकार के हाइपरपिग्मेंटेशन का मुख्य कारण है जिसे मेलास्मा या क्लोस्मा कहा जाता है। यह महिलाओं के बीच विशेष रूप से आम है और ऐसा तब होता है जब महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन मेलेनिन की अधिकता को उत्तेजित करते हैं जब त्वचा सूर्य के संपर्क में होती है। साथ ही हाइपरपिग्मेंटेशन कुछ हार्मोन ट्रीटमेंट का साइड इफेक्ट भी हो सकता है।
त्वचा में चोट या सूजन के बाद पोस्ट-इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन होता है जैसे: कट्स, जलन, केमिकल एक्सपोज़र, मुंहासे, एटोपिक डर्मेटाइटिस या सोरायसिस। घाव ठीक हो जाने के बाद त्वचा को काले और फीके दाग छोड़ जाते हैं, जो कि हाइपरपिगमेंटेशन का ही नतीजा है।
कई बीमारियों और दवाओं को हाइपरपिग्मेंटेशन का कारण माना जाता है। हाइपरपिग्मेंटेशन कुछ ऑटोइम्यून और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग, चयापचय संबंधी विकार और विटामिन की कमी जैसी कुछ बीमारियों का भी लक्षण भी हो सकते हैं। यह कुछ दवाओं जैसे किमोथेरेपी दवाओं, एंटीबायोटिक दवाओं और एंटीमाइरिल जैसी दवाओं के कारण भी ट्रिगर हो सकता है।
चेहरे पर पिग्मेंटेशन उम्र के धब्बे, सूर्य के संपर्क में आने के कारण होते हैं। इस कारण ये शरीर के उन हिस्सों पर दिखाई देते हैं जो अक्सर सामने आते हैं जैसे चेहरा, गर्दन, हाथ और पैरों में दिखाई देता है।
ऊपरी होंठ पर हाइपरपिग्मेंटेशन हार्मोनल परिवर्तन के कारण हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोन-प्रेरित हाइपरपिग्मेंटेशन का एक रूप है। क्लोस्मा के रूप में भी जाना जाता है, मेलास्मा एक ऐसी स्थिति है जहां हाइपरपिग्मेंटेशन के बड़े पैच मुख्य रूप से चेहरे पर विकसित होते हैं। पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है। महिलाओं में मेलास्मा सबसे आम है और माना जाता है कि हार्मोन के स्तर में परिवर्तन से ट्रिगर किया जाता है। मेलास्मा गर्भवती महिलाओं में होता है।
मुंहासे से पीड़ित लोग आमतौर पर पोस्ट-इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन का अनुभव करते हैं। पोस्ट-इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन तब होता है जब कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं जैसे कि डर्माब्रेशन, लेजर उपचार और रासायनिक छिलके के कारण भी हो सकता है।
सूरज से यूवी किरणें आपकी त्वचा के लिए हानिकारक हैं। वास्तव में, ये समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों के 80 प्रतिशत तक जिम्मेदार होते हैं। ये हाइपरपिग्मेंटेशन को भी बढ़ाते हैं, इसलिए जितना हो सके उतना चेहरे को सूरज की तेज रोशनी से बचा कर रखें। मुंह ढक कर घर से बाहर जाएं।
हर दिन ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का उपयोग करने से हाइपरपिग्मेंटेशन को रोकने में मदद मिल सकती है। इसके लिए SPF 30 वाली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
हाइपरपिगमेंटेशन के लिए घरेलू नुस्खों के रूप में आप कुछ चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि इसे हल्का करने में आपकी मदद करेंगे। जैसे कि
त्वचा के रंग में परिवर्तन बाहरी कारणों से हो सकता है। उदाहरण के लिए, त्वचा के रोग जैसे कि मुंहासे साफ होने के बाद काले धब्बे छोड़ सकते हैं। काले धब्बों के अन्य कारणों में त्वचा की चोटें हैं, जिनमें कुछ सर्जरी भी शामिल हैं। फ्रेकेल्स छोटे भूरे रंग के धब्बे होते हैं जो शरीर पर कहीं भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन चेहरे और बाहों पर सबसे आम हैं। इन्हें झाई कहा जाता है। ये उम्र के धब्बे और अन्य गहरे रंग की त्वचा के धब्बे गहरे या अधिक स्पष्ट हो सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेलेनिन सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणों की ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है ताकि वह त्वचा को ओवरएक्सपोजर से बचा सकें। इस प्रक्रिया का सामान्य परिणाम त्वचा की टैनिंग है, जो पहले से ही हाइपरपिगमेंट वाले क्षेत्रों को काला कर देता है। इस तरह आप पिग्मेंटेशन के बारे में सबकुछ जान सकते हैं और इसके उपचारों को एक्सपर्ट की मदद से ऑनली माय हेल्थ पर पढ़ सकते हैं।