ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का एक रोग है इसे हिन्दी में भंगुर कहते है।, जिसमें रोगी की हड्डियां अंदर से खोखली और कमजोर हो जाती हैं। हमारी हड्डियां कैल्शियम फॉस्फेट और कोलाजेन नाम के प्रोटीन से मिलकर बनी होती हैं। ये तत्व आपस में मधुमक्खी के छत्ते की तरह जुड़े होते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर की हड्डियों के अंदर बहुत कम रिक्त स्थान होता है, जिसके कारण हड्डियां मजबूत होती हैं और आसानी से बाहरी दबावों और झटकों को सह लेती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर रोगी की हड्डियों के बीच का यही रिक्त स्थान बढ़ता जाता है और इसी कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर थोड़ा सा झटका लगने या गिरने आदि से रोगी की हड्डियां टूट सकती हैं।
आमतौर पर ऑस्टियोपोरोसिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है मगर इसका सबसे ज्यादा खतरा उम्रदराज लोगों को होता है और पुरुषों से ज्यादा इस रोग से महिलाएं प्रभावित होती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस रोग के कारण कई बार व्यक्ति की हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि उठने-बैठने से भी टूट जाती हैं। आमतौर पर इस रोग के कारण सबसे ज्यादा खतरा पसली की हड्डी, कूल्हे की हड्डी, कलाई की हड्डी और रीढ़ की हड्डी को होता है।
यूं तो आरंभिक स्थिति में दर्द के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ खास लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन जब अक्सर कोई मामूली सी चोट लग जाने पर भी फ्रैक्चर होने लगे, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का बड़ा संकेत होता है। इस बीमारी में शरीर के जोडों में जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी से फ्रैक्चर हो जाता है। इसके अलावा बहुत जल्दी थक जाना, शरीर में बार-बार दर्द होना, खासकर सुबह के वक्त कमर में दर्द होना भी इसके लक्षण होते हैं। इसकी शुरुआत में तो हड्डियों और मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है, लेकिन फिर धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता जाता है। खासतौर पर पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का सा भी दबाव पड़ने पर दर्द तेज हो जाता है। क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस का शुरुआती दौर में अक्सर पता नहीं लग पाता, इसलिए इसके जोखिम से बचने के लिए पचास साल की आयु के बाद डॉक्टर नियमित अंतराल पर एक्स-रे कराने की सलाह देते हैं, ताकि इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके। अधिकतर भारतीय लोग विटमिन डी की कमी से ग्रस्त होते हैं। यही कारण है कि उनकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं। यहां हर दस में से लगभग चार स्त्रियों और चार में से एक पुरुष को यह समस्या घेर रही है।
आमतौर पर जब आप दर्द या हड्डी टूटने के कारण डॉक्टर के पास जाते हैं, तो वो आपसे दर्द और हड्डी टूटने से जुड़े कुछ सवाल पूछकर इस बात का अंदाजा लगाते हैं कि कहीं आपको ऑस्टियोपोरोसिस तो नहीं।
ऑस्टियोपोरोसिस की जांच:
अगर जांच में ऑस्टियोपोरोसिस का पता चलता है तो डॉक्टर सबसे पहले आपको भारी काम करने और जंपिंग, एक्सरसाइज आदि न करने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे हड्डियों के टूटने का खतरा होता है। ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए आपको कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। विटामिन सी के सेवन से भी हड्डियां मजबूत होती हैं।
कैल्शियम और विटामिन डी की कमी ऑस्टियोपोरोसिस की मुख्य वजह है। कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है जबकि विटामिन डी कैल्शियम को शरीर में अब्जॉर्ब करने का काम करता है। इसलिए कैल्शियम वाले आहार या सप्लीमेंट लेने के साथ-साथ आपको विटामिन डी भी भरपूर लेना चाहिए। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत धूप है। अगर आप हल्का-फुल्का व्यायाम जैसे वॉक, एरोबिक्स, डांस और लाइट स्ट्रेचिंग करें या योग करें तो इसका खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा रोजाना सीढ़ियां चढ़ना भी आपके लिए फायदेमंद होता है। ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए आपको कैल्शियमयुक्त आहार जैसे दूध, दही और पनीर का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। प्रोटीन के लिए आप सोयाबीन, सोया टोफू, मछली, दाल, पालक, मखाना, मूंगफली, अखरोट, काजू, बादाम, स्प्राउट्स और मक्का आदि खा सकते हैं।