टीनेज डेटिंग के हो सकते हैं कुछ साइड इफेक्ट

टीनेज डेटिंग का सबसे ज्यादा प्रभाव लड़के-लड़कियों के मानसिक विकास पर पडता है। किशोरों में परिपक्वता की कमी होती है जिसके कारण वह कई बार बिना सोचे-समझे कदम उठाते हैं।

Nachiketa Sharma
Written by: Nachiketa SharmaUpdated at: May 06, 2015 12:00 IST
टीनेज डेटिंग के हो सकते हैं कुछ साइड इफेक्ट

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बदलती लाइफस्टाइल और विचारों में खुलापन आने का प्रभाव किशोरों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। किशोरों में परिपक्वता की कमी होती है जिसके कारण वे कई बार बिना सोचे-समझे कदम उठाते हैं। इस उम्र में स्कूल या कॉलेज में पढने के कारण टीनेज में दोस्ती और फिर प्यार आसानी से हो जाता है। इसके कारण किशोर सार्वजनिक स्थानों पर अक्सर डेटिंग करते नजर आते हैं। किशोर आमतौर पर डेटिंग को एक फैशन, रोमांच और एडवेंचर के तौर पर लेते हैं। कुछ किशोर टीनेज डेटिंग को सेक्स से जोडते हैं। लेकिन शायद उनको यह नहीं पता होता है कि डेटिंग एक-दूसरे को जानने और समझने के लिए की जाती  है न कि शरीरिक जरूरतों की पूर्ती के लिए। टीनेज डेटिंग अगर भावावेश में की जाती है तो उसके कई गलत प्रभाव पडते हैं।

 

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टीनेज डेटिंग के अतिरिक्त प्रभाव 


  • ज्यादातर किशोर डेटिंग को लेकर ज्यादा ही उत्साहित रहते हैं। डेटिंग के दौरान सेक्स को लेकर के उनके दिमाग में अलग-अलग विचार आते हैं जिसके कारण उनके मानसिक विकास में बाधा होने लगती है।
  • किशोरावस्था में पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक विकास नहीं होता है जिसके कारण लडके और लडकियां डेटिंग को एक ट्रेंड की तरह समझते हैं। इस दौरान वे लोग एक-दूसरे से शारीरिक तौर पर जुडऩे की कोशिश करते हैं जो कि लड़के और लडकी दोनों के विकास के लिए हानिकारक है क्योंकि इस उम्र में किशोरों को कई जानकारी नहीं होती है। इसीलिए उनके दिमाग में कहीं न कहीं डर भी बना रहता है।

 

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  • अक्सर स्कूल या कॉलेज में मिलने के दौरान किशोर अपने विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और इसे वे प्यार का नाम देते हैं। परिपक्वता न होने से अक्सर ही लडाई होती है जिससे संबंधों में कड़वाहट आती है और दोनों को इमोशनल समस्याएं होने लगती हैं। इसके कारण कई बार किशोर डिप्रेशन या मानसिक बीमारी का भी शिकार हो जाते हैं।

  • किशोरावस्था में लडके-लडकियों पर दोस्तों की बातों का बहुत प्रभाव पडता है। कुछ लोग तो अपने डेट की प्लांनिंग अपने दोस्तों के निर्देशानुसार करते हैं। कई बार दोस्तों के प्रभाव में आकर जोश-जोश में डेटिंग शुरू करते हैं जो कि उनके मानसिक विकास के लिए अच्छा नहीं है।
  • किशोर भावावेश में आकर अक्सर गलत कदम उठा लेते हैं। डेटिंग के दौरान अगर वह अपने पार्टनर से शरीरिक संबंध बनानेकी बात करते हैं। लेकिन अगर पार्टनर उसकी बात को मना कर देता है तब भावावेश में आकर वह कुछ गलत करने को तैयार हो जाते हैं।
  • सोशल नेटवर्किंग और इंटरनेट चैटिंग का प्रभाव भी किशोरों पर बहुत पडता है। किशोरों में इंटरनेट पर चैट करने का क्रेज बन गया है। कई बार रात-रात भर इंटरनेट चैटिंग के कारण किशोरों की पढाई प्रभावित होती है। इसके अलावा किशोर इंटरनेट पर डेटिंग के टिप्स ढूंढते हैं जो कि आधी-अधूरी होती है।  



टीनेज डेटिंग का सबसे ज्यादा प्रभाव लड़के-लड़कियों के मानसिक विकास पर पडता है। क्योंकि किशोर अपने स्‍वास्‍थ्‍य पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। डेटिंग के चक्कर में किशोर गलत कदम उठाते हैं और लडकियां अक्सर किशोवास्था में ही गर्भ धारण कर लेती हैं।

 

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