मधुमेह के कई प्रकारों में से गर्भावधि मधुमेह भी एक है। यह समस्या़ गर्भावस्था के दौरान होती है। गर्भावधि मधुमेह यानी जेस्टेशनल डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। हार्मोन में बदलाव की वजह से गर्भवती महिला के शरीर में इंसुलिन के उपयोग की क्षमता प्रभावित हो जाती है तो वह डायबिटीज की शिकार हो सकती है। 20 में से 1 गर्भवती महिला को डायबिटीज होती है। आमतौर पर गर्भावस्था के 13 से 28 सप्ताहों के दौरान यह बीमारी होती है और गर्भावस्था के साथ दूर हो जाती है। हार्मोन में बदलाव और वजन बढ़ना स्वस्थ गर्भावस्था के लक्षण हैं, पर ये बदलाव कभी-कभी शरीर पर बुरा असर डालते हैं। स्वयं पर थोड़ा ध्यान देकर आप ना केवल गर्भावस्था की जटिलताओं से बच सकती हैं बल्कि स्वस्थ शिशु को भी जन्म दे सकती हैं।
गर्भावधि मधुमेह
अधिकतर मामलों में जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भधारण के शुरुआत में ही हो जाती है। लेकिन ऐसा भी जरूरी नहीं है कि आपको गर्भावस्था के अंतिम चरण में डायबिटीज नहीं हो सकती है। कुछ महिलाओं को पहले से ही डायबिटीज होती है, लेकिन वे इसे पहचान नहीं पाती हैं। जब यह गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाता है, तो जांच के बाद पहचाना जाता है। गर्भधारण के दौरान हॉर्मोंस जैसे कि प्रोजेस्टेरोन और प्लासेंटल लेक्टोजन, शरीर में उत्पन इंसुलिन के विपरीत काम करने लगते हैं। जिस कारण आपको डायबिटीज हो सकती है।
गर्भावधि मधुमेह से जुड़ी गलतफहमी
गर्भावधि मधुमेह को लेकर महिला के मन में कई तरह की गलतफहमी होती है। जिससे कारण उनका मन हमेशा परेशान रहता है। अगर आप मन भी इसी तरह की उलझन में उलझा रहता हैं तो घबराइए नहीं क्योंकि इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको ऐसी ही कुछ गलतफहमियों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
मीठा खाने से गर्भावधि मधुमेह का होना
पहली गलत धारण होती है कि मीठा खाने से गर्भावधि मधुमेह होता है, जबकि सच्चाई यह है कि जेस्टेशनल डायबिटीज का प्रमुख कारण होता है हार्मोन। यह हार्मोन प्लेसेंटा से निकलते हैं और इंसुलिन को प्रभावित करते हैं और शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है। लेकिन यह बात सही है कि एक बार अगर जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाये मीठा कम खायें। सभी महिलाओं में इंसुलिन का उत्पाद बढ़ाने की क्षमता होती है लेकिन जो महिला इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ा नहीं पाती है, उनको गर्भावधि मधुमेह हो जाता है और मीठे से इसका सीधा संबंध नहीं है।
बच्चे को भी मधुमेह का खतरा
इस बारे में दूसरी गलत धारणा यह है कि गर्भावधि मधुमेह बच्चे को भी हो जाती है। जबकि सच्चाई हैं कि यह ऐसी बीमारी नहीं है जो आपसे आपके बच्चे को हो जाये। तो अगर आपको गर्भावधि मधुमेह है तो जरूरी नहीं कि यह बीमारी आपके बच्चे को भी हो। लेकिन इससे आपको डायबिटीज होने की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि इंसुलिन एक हार्मोन है जो हमारे शरीर में बनता है और यह शुगर को नियंत्रित करता है।
इस तरह से गर्भावधि मधुमेह से जुड़ी गलतफहमी से बाहर निकल गर्भवती महिला को ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए नियमित शुगर की जांच, संतुलित भोजन का सेवन, व्यायाम और इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है।
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