Baby Care: आयुर्वेद के अनुसार मानसून में कैसे रखें अपने बच्चों का ख्याल, जानिए हमारी आयुर्वेदिक एक्‍सपर्ट से

Ayurveda For Kids: मानसून में बच्‍चों के बीमार होने का खतरा अधिक रहता है। आयुर्वेद के अनुसार शिशुओं की देखभाल कर उन्‍हें स्‍वस्‍थ रख सकते हैं।

Atul Modi
Reviewed by: डॉ. चंचल शर्माUpdated at: Sep 08, 2020 09:11 ISTWritten by: Atul Modi
Baby Care: आयुर्वेद के अनुसार मानसून में कैसे रखें अपने बच्चों का ख्याल, जानिए हमारी आयुर्वेदिक एक्‍सपर्ट से

Onlymyhealth Dabur Vedic Tea

मानसून और बारिश का मौसम भला किसे अच्छा नहीं लगता है परंतु बारिश के दौरान छोटे बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां थोड़ी बढ़ जाती है। मानसून में शिशु अर्थात छोटे बच्चों में संक्रमण (इंफेक्शन) एवं बीमार होने का खतरा बड़ों की अपेक्षा थोड़ा अधिक रहता है। क्‍योंकि, नवजात शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की अपेक्षा बहुत कम होती है। 

मौसम में बदलाव के कारण बच्चों के बार-बार बीमार होने के कारण एवं उपचार के बारें में आशा आयुर्वेदा की चाइल्ड केयर एक्सपर्ट का कहना है कि बारिश एवं मानसून में होने वाले परिवर्तन के कारण शिशु में सर्दी, खांसी, डायरिया, पीलिया, टायफाइड एवं वायरल फीवर जैसी बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं अत्यधिक बढ़ जाती है। बारिश जैसे मौसम में नवजात शिशुओं की देखभाल एक मुश्किल भरा काम हो जाता है।

baby-care

आशा आयुर्वेदा की डारेक्टर डॉ चंचल शर्मा और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका ने मानसून में बच्चों की देखभाल के लिए कुछ ऐसे घरेलु उपायों को बताया है जिन्हें अपनाकर माताएं अपने नवनिहालों का बचाव बीमारी से कर सकती है।

बच्चों को मौसमी बीमारी से बचाने के महत्वपूर्ण टिप्स

बच्‍चों को ढीले व हल्‍के कपड़े पहनाएं

बारिश का मौसम जैसे ही शुरु होता है वैसे ही बच्चों की देखभाल की जरुरत और भी अधिक बढ़ जाती है इस दौरान बच्चों को ढ़ीले कपड़े पहनाना चाहिए जिससे बच्चे के शरीर में हवा के प्रवेश बहुत  ही आसानी के साथ होता रहे। छोटे बच्चों को हमेशा हल्के कलर एवं कॉटन के कपड़े ही पहनाना चाहिए क्योंकि इन कपड़ो में बच्चे ज्यादा आराम महसूस करते है और कॉटन के कपड़े शिशु के शरीर का पसीना बहुत जल्दी सोख लेते है।

अपने और बच्‍चों के आसपास स्‍वच्‍छता अपनाएं 

सबसे पहले तो घर परिवार वालों को इस बात का पूरी तरह से ध्यान रखना चाहिए के घर में बिल्कुल भी गंदगी न हो क्योंकि अगर घर में गंदगी होगी तो मच्छर जरुर होगे जिससे बच्चें बहुत जल्दी बीमार हो सकते है। दूसरी बात यह की मानसून के दौरान मच्छरों का पैदा होना एक सामान्य सी बात होती है ऐसे में यह बात ध्यान देने योग्य है कि कैसे इन मच्छरों से बचाया जाए। यह मच्छर डेंगू और मलेरिया जैसी खतरनाक उत्पन्न करते है जिससे इनसे बचाने के लिए बच्चों को मच्छरदानी में सुलाना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: गर्भवती महिलाओं में इम्‍यूनिटी बूस्‍ट करने के 10 आयुर्वेदिक उपाय: बता रही हैं डॉक्‍टर चंचल शर्मा

baby-care

बच्‍चों से जुड़ी वस्‍तुओं को स्‍वच्‍छ रखें

बारिश के मौसम में एक और बात का ध्यान रखना बहुत अनिवार्य होता है कि बच्चों के बिस्तर, बच्चों के कपड़े, बच्चों के खिलौनो को साफ रखना चाहिए। बारिस के मौसम में बच्चों को बहुत ही अरामदायक कपड़े ही पहनाना चाहिए। बारिस के मौसम में नमी बढ़ जाने के कारण छोटे-छोटे से कीटाणु जन्म ले लेते है और यही कीटाणु बच्चों के नमी वाले कपड़ों के माध्यम से शिशु के संपर्क में आ जाते है और फिर यही कीटाणु शिशु की त्वाचा को हानि पहुचाते है इसलिए मानसून में बच्चों का ख्याल रखने के लिए उन्हें अच्छी तरह से धुले एवं साप सुथरा कपड़ा पहनाना चाहिए। क्योंकि साफ और पतले कपड़ों में हवा का आना जाना सही से होता रहता है ऐसा करने से शिशु में होने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें: क्‍या आयुर्वेद से दूर हो सकती है बच्‍चा न होने (इन्फर्टिलिटी) की समस्‍या? जानिए आयुर्वेदिक एक्‍सपर्ट से

मौसम के हिसाब से बच्चों के खाने पीने का कैसे रखें ख्याल

शिशु के स्वास्थ्य पर खान-पान का बहुत ही गहरा असर होता है इसलिए बच्चों के मौसम के हिसाब से ही खाना देना चाहिए। यदि आपके बच्चे की उम्र सॉलिड फूड खाने की हो गई है तो आपको उसे ताजा खाना देना चाहिए। बच्चों के पेट में संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है और अगर ऐसे में बच्चे ताजा भोजन करते है तो संक्रमण को कम किया जा सकता है। 

  • इस मौसम मे बच्चों को  एक्ट्रा केयर की जरुरत पड़ती है इस दौरान बच्चे को उबला हुआ पानी देना बहुत जरुरी होता है। 
  • इस मौसम में बच्चो को रोज़ सुबह 1 चमच शहद का सेवन करना चाहिए, सोते समय बच्चे को दूध में 1 चुटकी हल्दी या सोंठ डालकर पिलाना चाहिए।
  • बारिश के सीजन में ज्यादातर शिशुओं को रैशेज या घमोरियां होना एक सामान्य बात होती है ऐसे में डॉ दीपिका आयुर्वेद के नुस्‍खों की सलाह देती है कि बच्चों को दो चम्मच चंदन पाउडर डालकर ही नहलाना चाहिए और बच्चों के शरीर में ज्यादा लोशन या फिर बहुत ज्यादा क्रीम का उपयोग न करें क्योंकि ऐसा करने से उनके शरीर के रोम छिद्र बंद हो सकते है।

बच्चों के स्वास्थ्य एवं सेहत संबंधी किसी अन्य जानकारी के लिए आप हमारे विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते है एव किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान हमारे यहां से प्राप्त कर सकते है।

Read More Articles On Children Health In Hindi

Disclaimer