मां बनना हर महिला के जीवन का अनोखा अनुभव है। पर कई बार स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों के कारण और कुछ बीमारियों की वजह से कई महिलाएं चाह कर भी मां नहीं बन पाती हैं। पी.एस.आर.आई, नई दिल्ली के गायनी और एंडोस्कोपी सर्जन डॉ. राहुल मनचंदा की मानें, तो 20s यानी 20 से 30 साल की उम्र मां बनने की सबसे सही उम्र है। इस उम्र में महिलाओं की फर्टिलिटी (how your age affects fertility) बहुत अच्छी होती है। आमतौर पर जीवन के इस चक्र में पीरियड्स नियमित होते हैं और शरीर भी स्वस्थ होता है, इसलिए इस उम्र में महिलाओं के प्रेग्नेंट होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। पर आज कल करियर और तमाम प्रोफेशनल जिम्मेदारियों के कारण महिलाएं इस उम्र में मां नहीं बन पाती हैं। ऐसे में आइए प्रेग्नेंसी से जुड़ी उन बातों को समझते हैं जिसकी मदद से गर्भ धारण करना आसान (how to get pregnant in hindi)हो सकता है।
प्रग्नेंसी में ओव्यूलेशन एक सबसे महत्वपूर्ण चरण है जो तब होता है जब एक महिला का अंडाशय यानी कि ओवरीज (ovaries)एग रिलीज करने के लिए तैयार हो जाता है। बाएं और दाएं अंडाशय (left and right ovaries)आम तौर पर अगले अंडे को बाहर भेजने हैं और फाइब्रिया (fimbriae) इन्हें फैलोपियन ट्यूब (fallopian tube) में ले जाता। ओव्यूलेशन आम तौर पर एक महिला के पीरियड्स के दौरान होता और प्रेग्नेंसी के लिए ये जानना बेहद जरूरी है। होता ये है अंडा फैलोपियन ट्यूब में आ जाता है और फर्टिलाइजेशन का इंतजार करता है। लेकिन अगर फर्टिलाइजेशन नहीं होता है, तो पीरियड्स हो जाता है और ये एग खत्म हो जाता है। आपकी पीरियड्स का पहला दिन आपका मेंस्ट्रुअल साइकिल (Menstrual cycle) का पहला दिन माना जाता है। एक महिला का सामान्य मासिक धर्म औसत 28 दिनों तक रहता है। ओव्यूलेशन आमतौर पर चक्र के मध्य में यानी अवधि की शुरुआत के 14 दिनों में होने को तैयार होता है और इसी फर्टिलाइजेशन या प्रग्नेंसी आसानी से हो सकता है।
1. मेंस्ट्रुअल साइकिल के कैलेंडर को रिकॉर्ड करें और तब प्रेग्नेंसी के लिए ट्राई करें (Record menstrual cycle frequency)
2. वजन संतुलित और सही रखें (have healthy body weight for pregnancy)
3. प्रसव पूर्व विटामिन लें जैसे फॉलिक एसिड एंड विटामिन सी (Take a prenatal vitamin)
4. स्वस्थ भोजन लें (Eat healthy foods)
5. हैवी वर्कआउट में कमी लाएं (Cut back on strenuous workouts)
6. धूम्रपान और पीने की आदतों को छोड़ दें (No Smoking and Drinking)
7. उम्र से संबंधित प्रजनन क्षमता के बारे में जानकारी रखें (Be aware of age-related fertility declines)
8. स्ट्रेस फ्री रहने की कोशिश करें (don't be so stressed)
9. योग और प्राणायाम करें (yoga for fertility)
हर कोई जैविक माता-पिता बनने की आस रखता है पर कई बार स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां और रोग इसमें बाधा डालते हैं और आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं। जैसे कि
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) 10% महिलाओं को प्रभावित करता है। ये शरीर में एण्ड्रोजन हार्मोन के ज्यादा प्रोडक्शन के कारण होता है। यह अंडे की गुणवत्ता को कम करने के अलावा, एक एग के रिलीज में देरी या समाप्त करके ओव्यूलेशन में हस्तक्षेप कर सकता है। पीसीओएस वाली महिलाओं का वजन अधिक हो सकता है, उन्हें डायबिटीज हो सकता है और उनमें असंतुलित पीरियड्स हो सकता है। पीसीओएस होने के बावजूद गर्भधारण करने वाली महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान सावधानीपूर्वक निगरानी करनी होती। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी महिलाओं में गर्भपात (Miscarriage) होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर शरीर को खुद पर हमला करने का कारण बनता है। रयूमैटॉइड अर्थराइटिस और ल्यूपस जैसी परिस्थितियां असंख्य मायनों में प्रजनन क्षमता को कम करती हैं। वे स्वस्थ शुक्राणु या अंडे का उत्पादन करने के लिए शरीर की क्षमता को कम कर सकते हैं। साथ ही ये गर्भाशय में इंमप्लाटेंशन करने के लिए एक अंडे की क्षमता को कम कर सकते हैं, शारीरिक संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, या यहां तक कि एक महिला के शरीर में एक नए प्रत्यारोपित भ्रूण पर हमला कर सकते हैं।
गर्भाशय में फाइब्रॉएड और पॉलीप्स का होना प्रेग्नेंसी को रोकता है। हालांकि ये भारी, दर्दनाक या मिस्ड पीरियड्स जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं, कई महिलाओं को कभी भी लक्षणों का अनुभव नहीं होता है। कुछ महिलाएं फाइब्रॉएड या पॉलीप के साथ भी गर्भवती होने में सक्षम हैं। हालांकि, जब बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। गर्भाशय की वृद्धि एक अंडे को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित करने की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकती है, और एक नए प्रत्यारोपित भ्रूण के विकास को कमजोर कर सकती है। इसका परिणाम बार-बार हाने वाला गर्भपात (Miscarriage) हो सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य चिकित्सा स्थिति है जो गर्भाशय के टिशूज को गर्भाशय के बाहर बढ़ाने का कारण बनता है, जैसे कि अंडाशय या फैलोपियन ट्यूब पर। लक्षणों में भारी या दर्दनाक पीरियड्स, श्रोणि दर्द और अनियमित मासिक धर्म चक्र शामिल हैं। एंडोमेट्रियोसिस गंभीरता में भिन्न होता है। कुछ महिलाओं को यह भी नहीं पता कि उन्हें ये है, जबकि अन्य असहनीय दर्द के साथ वर्षों तक संघर्ष करते हैं। एंडोमेट्रियोसिस की गंभीरता जनन क्षमता को बाधित करता है। गंभीर मामले में अंडाशय या फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक कर सकता है।
एंडोक्राइन सिस्टम आपके शरीर के संचार केंद्र के रूप में कार्य करता है, हार्मोन को विनियमित करता है जो प्रेग्नेंसी में मदद करता है। पर कई बार थायराइड डिसऑर्डर और मधुमेह अन्य कारणों से एंडोक्राइन सिस्टम का प्रभावित होना प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचाता है।
एसटीडी और अन्य संक्रमण (STDs and Other Infections) और कैंसर जैसी बीमारियां भी लोगों के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। ऐसे में मां बनने के लिए अन्य विकल्प (other medical ways of getting pregnant) आजमां सकती हैं। जैसे कि आप गर्भाशय गर्भाधान (आईयूआई) के माध्यम से भी मां बन सकती हैं, जिसमें फर्टिलिटी अंदर ही करवाई जाती है। इसके अलावा ओवुलेशन इंडक्शन (ovulation induction) की मदद ले सकती हैं और आईवीएफ (IVF) जैसे उपचारों की मदद ले सकते हैं। इस तरह हमारे इस पेज में कैसे करें गर्भधारण, पहली बार गर्भधारण के दौरान सावधानियां, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, गर्भधारण करने की सही उम्र, किशोर गर्भावस्था इन सभी से संबंधित कई बातों को जानिए और गर्भधारण से पहले दिमाग में आने वाले सवालों के बारें में पढ़ें।
Source: American Pregnancy Association
Centre for disease control and prevention