Gender Dysphoria in Hindi: जेंडर डिस्फोरिया एक ऐसा डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति को मानसिक रूप से यह विश्वास होता है कि वह अपने शरीर यानी जेंडर से अलग है। इस डिसऑर्डर में व्यक्ति के मन में अपने जेंडर के प्रति अलग पहचान होती है। यानी अगर कोई बायोलॉजिकल पुरुष है, तो उसकी मानसिकता को यकीन होता है कि वह एक महिला है। वहीं, जो शारीरिक या जेंडर में स्त्री होती है, उसे विश्वास होता है कि वह एक पुरुष है। इस स्थिति में व्यक्ति काफी उलझनों के बीच अपना जीवन बिताता है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति के मन में अपना जेंडर बदलने के विचार आते रहते हैं। हालांकि, जेंडर डिस्फोरिया डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों का सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह से प्रभावित होता है। इतना ही नहीं, उनके परिवार और दोस्त भी इससे प्रभावित होते हैं। आइए, जेंडर डिस्फोरिया के बारे में विस्तार से जानते हैं-
आपको बता दें कि मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूकता के महत्व को समझते हुए ओनलीमायहेल्थ ने एक खास सीरीज शुरू की है, जिसका नाम है "Mental Health A-Z"। इस सीरीज में देश के प्रसिद्ध साइकैट्रिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट डॉ निमेष देसाई (Dr. Nimesh G. Desai, Senior Consultant Psychiatrist & Psychotherapist) अलग-अलग विषयों पर विस्तार में बताते हैं। आज इस लेख में डॉ निमेष देसाई से जानते हैं जेंडर डिस्फोरिया और इससे जुड़ी जानकारियों के बारे में।
जेंडर डिस्फोरिया का लक्षण- Gender Dysphoria Symptoms in Hindi
अब सबके मन में यह सवाल जरूर आएगा कि आखिर जेंडर डिस्फोरिया की पहचान कैसे की जा सकती है। तो आपको बता दें कि जब किसी व्यक्ति को जेंडर डिस्फोरिया डिसऑर्डर होता है, तो बचपन से ही बच्चे या बच्ची के मन में इसके विचार आने लगते हैं। आपको बता दें कि 6-8 वर्ष की उम्र में बच्चों के मन में यह विचार आ सकता है। फिर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उन्हें मानसिक रूप से यकीन होने लगता है। यानी जेंडर डिस्फोरिया अकसर बचपन में ही शुरू हो जाता है। यानी बच्चों में इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। लेकिन कुछ लोगों को यौवन के बाद इसका अनुभव होता है।
- अगर कोई बच्चा या बच्ची दूसरे जेंडर में ज्यादा दिलचस्पी रखें या क्रॉस ड्रेसिंग पसंद करें, तो यह एक लक्षण हो सकता है। यानी अगर लड़का, लड़की के कपड़े और लड़की, लड़के के कपड़े पहनना पसंद करे, तो यह जेंडर डिस्फोरिया का संकेत हो सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में यह सामान्य होता है।
- कई बार बातचीत या फिर भाषा से भी जेंडर डिस्फोरिया का पता लगाया जा सकता है। इसमें आपको व्यक्ति की भाषा या बातचीत में विरोधाभास दिख सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को सावधान होने की जरूरत है।
- अपने जेंडर से अलग लिंग की तरह व्यवहार करने की इच्छा होना।
जेंडर डिस्फोरिया का इलाज- Gender Dysphoria Treatment in Hindi
एक समय ऐसा था, जब कहा जाता था कि हर व्यक्ति को अपने शारीरिक रूप को स्वीकार करना चाहिए। ऐसे में डॉक्टर भी पीड़ित व्यक्ति की मानसिकता को बदलने की कोशिश करते थे। फिर 90 के दशक और 21वीं सदी में लोगों और डॉक्टर्स की मानसिकता बदली। अब जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित व्यक्ति की मानसिक सोच को प्राथमिकता दी जाती है। यह माना जाता है कि उसके शारीरिक रूप को बदलना चाहिए, ताकि व्यक्ति अपना जीवन आसानी से जी सके।
डॉ निमेष देसाई बताती हैं कि व्यक्ति के शारीरिक रूप को बदलने के लिए Sex Reassignment Surgery की जाती है। इस सर्जरी के माध्यम से व्यक्ति के जेंडर को मानसिक सोच के अनुसार बदला जाता है। यह एक काफी कठिन प्रक्रिया होती है। इसमें कई सर्जिकल ऑपरेशन और हॉर्मोन थेरेपी दी जाती है। फिर एक महिला को पुरुष और पुरुष को महिला के शरीर में बदला जाता है। आपको बता दें कि इस सर्जरी को करने में 3-5 सालों का समय लग जाता है। इस दौरान व्यक्ति के साथ ही उसके परिवारजनों और दोस्तों को भी मानसिक रूप से प्रभावित होना पड़ता है। अगर आपका भी कोई दोस्त या परिवार का कोई सदस्य ऐसा महसूस करता है, तो आपको उसका पूरा सहयोग करना चाहिए।