गर्भावधि मधुमेह महिलाओं में सामान्य तौर पर गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्या है। अधिकांश मामलों में इसका पता दूसरी या तीसरी तिमाही (सेकेण्ड या थर्ड ट्राइमिस्टर) में ही लग पाता है।
इस परिस्थिति में गर्भवती महिला का शरीर उच्च रक्त शर्करा के स्तर को दर्शाता है और उपयुक्त मात्रा में शरीर के लिए आवश्क इन्सुलीन की मात्रा का निर्माण नहीं कर पाता। शोध बताते हैं कि तकरीबन पांच प्रतिशत गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था मधुमेह से ग्रस्त होती हैं। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब महिला की उम्र पैंतीस वर्ष या उससे अधिक हो।
ज्यादातर मामलों में यह समस्या बच्चे के जन्म के साथ समाप्त हो जाती है। लेकिन फिर भी इस समस्या के कुछ सम्भावित खतरे व साइड इफेक्ट हैं। जिन्हें जानना तथा उनसे बचना बहुत आवश्यक है।
गर्भावधि मधुमेह के कारण
गर्भावधि मधुमेह का कोई सटीक कारण अभी तक पता नहीं चला है। लेकिन जब कोइ महिला गर्भ धारण करती है, तो वह बच्चे को शरीर में उसका स्थान देने के लिए कई सारे बदलावों से होकर गुजरती है। ऐसे में एस्ट्रोजन, कोर्टिसोल तथा लेक्टोजिन जैसे अनेक हार्मोन्स बच्चे को जगह प्रदान करने के लिए गर्भ में निकलते हैं। यही हार्मोन्स शरीर में मौजूद इन्सुलिन के साथ छेड़-छाड़ करते हैं। इससे शरीर के ग्लूकोज बनाने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इन्सुलिन अपना कार्य नहीं कर पाता और ग्लूकोज की शरीर में मात्रा बढ जाती है, जिसके कारण गर्भावधि मधुमेह होता है।
गर्भावधि मधुमेह में अक्सर प्यास लगना, लगातार पेशाब आना, थकान, मतली, उल्टी, मूत्राशय संक्रमण, योनि संक्रमण, धुंधला दिखना तथा वजन गिरना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
गर्भावधि मधुमेह के साइड इफेक्ट्स
डिलीवरी के दौरान
गर्भावधि मधुमेह के कारण बच्चे का शुगर स्तर भी बहुत बढ़ जाता है। इसकी वजह से बच्चे का शरीर सामान्य से अधिक इन्सुलिन बनने लग जाता है। इससे बच्चा माइक्रोसोमिया नामक समस्या से ग्रसित हो जाता है, जिससे उसका वजन अधिक हो जाता है। प्रसूति के समय यह समस्या सिजेरियन का कारण बन सकती है। इस प्रकार की डिलिवरीज में प्रसूति के लिए विशेष प्रबंध की आवश्यकता होती है। ऐसे में गर्भवती महिला को जननांग पर चोट आदि समस्या भी हो सकती हैं।
अधिक रक्त चाप
गर्भावधि मधुमेह का एक और साइड इफेक्ट यह है कि ऐसे में महिला का रक्त चाप बहुत अधिक हो सकता है। जिससे रक्त वाहिकाओं का शरीर के जरूरी अंगों तक रक्त का प्रवाह बाधित हो सकता है।
यूरीन में अधिक प्रोटीन
ऐसी अवस्था में मूत्र में प्रोटीन असामान्य मात्रा हो जाती है। इसका सीधा मतलब होता है कि आपका गुर्दा ठीक तरह से काम लही कर रहा। अथवा पहले से अधिक कार्य करने को मजबूर है। मूत्र में प्रोटीन असामान्य मात्रा मूत्र मार्ग में संक्रमण पैदा करता है।
डायबटीज का खतरा
शोध बताती हैं कि जिन महिलाओं को गर्भावधि मधुमेह की समस्या हुई हों उन्हें भविष्य में भी गर्भावस्था के दौरान डाइबटीज का खतरा बढ जाता है। हो सकता है कि आगे चलकर टाइप टू डाइबटीज भी हो।
गर्भावधि मधुमेह के साइड इफेक्ट सिर्फ मां को नहीं बल्कि बच्चे को भी हो सकते हैं। ऐसे में बच्चे को सांस लेने में तकलीफ, मानसिक समस्याएं, शरीर में लाल रक्त कडिकाओं की अधिक मात्रा आदि समस्याएं हो सकती हैं।