पति-पत्नी के झगड़े का बच्चों पर क्या असर पड़ता है? पैरेंटिग एक्सपर्ट से जानें जरूरी बातें

मां-बाप का झगड़ा बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसके प्रभाव और बचाव के उपाय बता रही हैं पैरेंटिग एक्सपर्ट ज्योतिका मेहता

ज्‍योतिका मेहता बेदी
Written by: ज्‍योतिका मेहता बेदीUpdated at: Jan 17, 2020 11:24 IST
पति-पत्नी के झगड़े का बच्चों पर क्या असर पड़ता है? पैरेंटिग एक्सपर्ट से जानें जरूरी बातें

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शादी के बाद पति-पत्नी के बीच छोटे-मोटे झगड़े और मतभेद आम बात हैं मगर इसके कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं, खासकर अगर झगड़े गंभीर या हिंसात्मक हों। ऐसे झगड़े लंबे समय में आपके रिश्ते को प्रभावित करते हैं। अमेरिकन रिसर्चर गॉटमैन ने असफल रिश्तों पर एक शोध में पाया था कि लंबे समय तक चलने वाले रिश्ते में कपल्स के बीच सकारात्मक और नकारात्मक व्यवहार का अनुपात 5:1 है। यानी अगर कोई व्यक्ति एक बार अपने पार्टनर से झगड़ता है, तो कम से कम 5 मौके ऐसे आते हैं, जब वो पार्टनर को अपना प्यार जताता है।

कपल्स के बीच कुछ बातों पर अहसमतियां संभव हैं और ऐसा हर रिश्ते में कभी-कभार होता रहता है। मगर यदि किसी कपल के बीच बहुत सारी बातों में असहमतियां हैं, तो रिश्ते पर इसका प्रभाव जरूर पड़ता है। खासकर इसके कारण पारिवारिक कलह या टकराव की स्थितियां बन सकती हैं। लेकिन ये बातें बहुत हद तक कपल्स के आपसी व्यवहार पर निर्भर करती हैं। कुछ लोग झगड़े के दौरान अपनी आवाज ऊंची नहीं करते हैं, जबकि कुछ लोग अनाप-शनाप बकने लगते हैं। ऐसे रिश्तों में सबसे बुरा तब होता है जब कोई व्यक्ति सामने वाले का मजाक उड़ाने या नीचा दिखाने की कोशिश करने लगता है। ऐसे झगड़ों के कुछ नकारात्मक प्रभाव इस प्रकार हैं:

अल्पकालिक प्रभाव:

मैंने 3 बच्चों की परवरिश की है और मेरा अनुभव कहता है - गलत तरीके से झगड़ने से परिवार में अस्थिरता आती हैं, जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है, क्योंकि वो सुरक्षित नहीं महसूस करते हैं। मैंने अपने कोचिंग क्लासेज में देखा है कि ऐसे झगड़ों के कारण पूरे परिवार का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। पति-पत्नी के रिश्ते के साथ-साथ पैरेंट्स और बच्चों का रिश्ता भी खराब होने लगता है। झगड़ा ज्यादा हो तो पति-पत्नी दोनों को ही तनाव होता है और इसका असर भी बच्चों के साथ उनके रिश्ते पर ही पड़ता है। लड़ाई के बात जो तनाव और चिंता की स्थिति बनती है, वो बच्चों के शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक विकास पर तो असर करती ही है, साथ ही इससे उनके रोजमर्रा के कामों में भी बाधा आती है।

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दीर्घकालिक प्रभाव:

Child Development नामक जर्नल में प्रकाशित 2013 के एक अध्ययन में पाया गया कि जब माता-पिता नियमित रूप से लड़ते हैं, तो ऐसे घरों के बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई होती है और उन्हें समस्याएं सुलझाने में भी परेशानी आती है। तथ्य यह है कि विज्ञान के विकास ने रिश्तों की समस्याओं को बढ़ा दिया है: माता-पिता के झगड़े के कारण बच्चे दूसरों को भी अपना दुश्मन समझने लगते हैं। मैंने ऐसे बच्चों में व्यवहार की समस्याएं, पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी परेशानियां, खाने-पीने की गलत आदतें, नींद की समस्याएं, पेट दर्द, सिरदर्द और कई बार मादक पदार्थों के सेवन जैसी समस्याएं देखी हैं। बच्चों ने स्वयं कुबूल किया है कि वे जीवन के प्रति नकारात्मक नजरिया रखने लगे हैं।

रचनात्मक संघर्ष

Notre Dame University के साइकोलॉजिस्ट और पैरेंटिग कोच E. Mark Cummings कहते हैं "कुछ प्रकार के झगड़े बच्चों को परेशान नहीं करते हैं, बल्कि इनसे बच्चों को लाभ होता है," माता-पिता के बीच होने वाली हल्की-फुल्की अहसमतियों और उनके समझदारी से समझौता करने की आदत बच्चे के सोशल स्किल्स और आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, इससे बच्चों में सामाजिक सुरक्षा की भावना आती है और वे स्कूल में मेंटल और साइकोलॉजिकल रूप से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

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Cummings के अनुसार लड़ाई के समय में, जब बच्चा माता-पिता के मेल-मिलाप का गवाह बनता है, तो इससे उसे खुशी मिलती है। यह बच्चे को यह आश्वासन देता है कि स्वर्ग (परिवार या घर) में सब कुछ ठीक है, और साथ रहकर हर समस्या हल की जा सकती है। इससे बच्चे तुरंत तनाव मुक्त होकर खेलने लगते हैं या अपनी दिनचर्या में वापस लौट जाते हैं।
Glucoft Wong के अनुसार यदि पैरेंट्स का आपस में रिश्ता ठीक नहीं चल रहा है, तो ये टिप्स उनके काम आ सकती हैं-

  • असहमति के बावजूद रिश्तों को लेकर या एक दूसरे को लेकर सहानुभूति को न खोएं।
  • याद रखें आप पार्टनर को हराने के लिए नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि अपनी बात समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • यह भी याद रखें कि आप एक दूसरे के खिलाफ नहीं, बल्कि एक ही पक्ष के लिए लड़ रहे हैं।
  • दोष देना किसी भी चीज का हल नहीं है।
  • पार्टनर पर निजी लांछन लगाना, नीचा दिखाने की कोशिश करना गलत है। आपको जो भी कहना है आराम से और सॉफ्टली कहें।

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