मेनोपॉज के समय बरतें ये सावधानियां, स्वास्थ्य पर नहीं पड़ेगा असर

मीनोपॉज की शुरुआत या पेरीमीनोपॉज अनियमित मासिक धर्म और अंतिम मासिक धर्म के बीच की अवधि होती है। इस दौरान जनन प्रक्रिया के आवश्यक हार्मोन में बदलाव होते हैं।

 ओन्लीमाईहैल्थ लेखक
Written by: ओन्लीमाईहैल्थ लेखकUpdated at: May 18, 2017 11:00 IST
मेनोपॉज के समय बरतें ये सावधानियां, स्वास्थ्य पर नहीं पड़ेगा असर

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हर महीने महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म में कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं, जिसका असर उनके शरीर और स्वास्थ्य पर पड़ता है। वहीं, 40 से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को मीनोपॉज (रजोनिवृत्ति) की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो उनके लिए काफी तनावपूर्ण रहता है। मीनोपॉज की शुरुआत या पेरीमीनोपॉज अनियमित मासिक धर्म और अंतिम मासिक धर्म के बीच की अवधि होती है। इस दौरान जनन प्रक्रिया के आवश्यक हार्मोन में बदलाव होते हैं, जिससे मासिक धर्म में अनियमितता, प्रजनन क्षमता में कमी, वसोमोटर के लक्षण एवं अनिद्रा जैसी समस्या हो सकती है।

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एक शोध में पेरीमीनोपॉज सिंड्रोम और मूड डिसआर्डर की गंभीरता से गुजर रही महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव और खतरों पर अध्ययन किया गया है। इन दोनों से उम्र, कब्ज, मेनुस्ट्रेशन, व्यक्तित्व की खासियतें और कामकाजी स्तर बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए इस हालात को गंभीरता से संभालना आवश्यक होता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने इस बारे में कहा कि “पेरीमीनोपॉज के लक्षण हर किसी में अलग होते हैं, जिसमें अनियिमित अत्यधिक रक्तस्राव, अनिद्रा, रात को पसीना आना, खराब पीएमएस, माइग्रेन, वेजीनल ड्राइनेस और पेट का मोटापा बढ़ना आदि समस्याएं होती हैं। इसके अलावा महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य में भी बदलाव आते हैं”।

उन्होंने कहा, “हार्मोन में बदलाव से बेचैनी, अवसाद, चिड़चिड़ापन और तेजी से मूड बदलने जैसे लक्षण हो सकते हैं। कई महिलाओं को सीने में दर्द या धुड़की लगना आदि समस्याएं होती हैं। ऐसा लगातार होने पर डॉक्टर से राय लेना आवश्यक होता है”।

डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि “सेहतमंद खानपान और अच्छी नींद इसका सबसे बेहतर हल है। गंभीर मामलों में गोली, स्किन पैच, जैल या क्रीम के रूप में एस्ट्रोजिन थैरेपी से इलाज किया जाता है। आम तौर पर पेरीमेनोपॉजल और मेनूपॉजल हॉट फ्लैशेस और रात को आने वाले पसीने के इलाज के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। उचित तरीके से हड्डियों के नुकसान को रोकने में एस्ट्रोजन मदद करता है”।

उन्होंने बताया कि योग और सांस की क्रियाएं कम खतरे वाले इलाज हैं, जो इन स्थितियों में तनाव घटाते हैं और इस बीमारी को रोकने में मदद करते हैं। इन स्थितियों में हर्बल और डाईट्री सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए”।

1. मीनोपॉड के दौरान रखें इन बातों का खास ध्यान

2. हर रोज आधे घंटे के लिए व्यायाम करें। हार्मोन असंतुलन में यह अवसाद से राहत देने में मददगार होगा।

3. अगर धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ दें, क्योंकि इससे रक्तचाप बढ़ता है और दिल की समस्याओं को प्रोत्साहित करता है।

4. हर रोज अच्छी नींद लें। संतुलित वजन बनाए रखें। आहार में कैल्शियम की उचित मात्रा लें। केला, पालक और नट्स काफी अच्छे विकल्प हैं।

5. कोई भी सप्लीमेंट या मल्टीविटामिन लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

News Source- IANS

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