Type 1, Type 2 and Gestational Diabetes: डायबिटीज भारत में तेजी से बढ़ रही बीमारी है। न सिर्फ बुजुर्ग बल्कि युवा भी इस बीमारी की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। खानपान में गड़बड़ी और खराब लाइफस्टाइल के चलते डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं- टाइप 1 और टाइप 2। इनमें से टाइप 1 डायबिटीज तो अनुवांशिक होती है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर खानपान और लाइफस्टाइल के कारण होती है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज की बीमारी को जेस्टेशनल डायबिटीज या गर्भावधि मधुमेह कहा जाता है। इस बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखते ही अगर आप सही कदम उठाते हैं तो इससे बचा जा सकता है।
टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज में क्या अंतर है?- Difference Between Type 1 Type 2 and Gestational Diabetes in Hindi
बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ समीर के मुताबिक डायबिटीज की बीमारी मुख्य रूप से दो तरह की होती है- एक टाइप 1 डायबिटीज और दूसरी टाइप 2 डायबिटीज। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज की बीमारी को गर्भावधि मधुमेह के नाम से जाना जाता है।
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टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज में अंतर इस तरह से समझ सकते हैं-
टाइप 1 डायबिटीज- Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 डायबिटीज की बीमारी में आपके अग्नाशय में इंसुलिन का निर्माण बंद हो जाता है और इसकी वजह से ब्लड में ग्लूकोज या शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है। एक आंकड़े के मुताबिक डायबिटीज से पीड़ित करीब 10 प्रतिशत लोगों में यह समस्या होती है। टाइप 1 डायबिटीज के लिए आनुवांशिक कारण और वायरल इन्फेक्शन को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज- Type 2 Diabetes in Hindi
टाइप 2 डायबिटीज में आपका अग्नाशय शरीर की जरूरत के मुताबिक इंसुलिन नहीं बना पाता है या शरीर में हॉर्मोन सही ढंग से काम नहीं कर पाता है। टाइप 2 डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा अधिक उम्र वाले लोगों में, मोटापे की समस्या और शारीरिक श्रम न करने वाले और गर्भवती महिलाओं में रहता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज- Gestational Diabetes in Hindi
कुछ महिलाओं को गर्भवती होने के बाद डायबिटीज की समस्या होती है, इसे गर्भावधि मधुमेह या जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। अगर महिलाओं को गर्भवती होने से पहले डायबिटीज होती है, तो इसे प्रीस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, इसकी वजह से शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंस को सही ढंग से मैनेज नहीं कर पाता है और इसकी वजह से जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
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डायबिटीज से बचने के लिए डाइट में सब्जियां, फल और साबुत अनाज को शामिल करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा नियमित रूप से शारीरिक श्रम या व्यायाम करने वाले लोगों में भी डायबिटीज का खतरा कम रहता है। अगर आपको भी डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते हैं तो सबसे पहले खानपान और लाइफस्टाइल में सुधार करें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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