आपके मुंह का स्वास्थ्य (oral health) आपके शरीर के स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है। इतना ही नहीं दांतों की बीमारियां हृदय रोग, कैंसर और डायबिटीज से भी जुड़ी हो सकती हैं। ऐसे में जरूरी ये है कि आप अपने दांतों के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखें और साथ ही दांतों से जुड़ी उन बीमारियों के बारे में भी जानें, जो आपके मुंह के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाते हैं। तो, आइए सबसे पहले जानते हैं दांतों से जुड़ी आम परेशानियों के बारे में विस्तार से।
हमारे मुंह में लाखों बैक्टीरिया दांतों की कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ तो दांतों के लिए फायदेमंद हैं, जबकि अन्य दांतों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। हालांकि, ज्यादातर दांतों के रोगों का बड़ा कारण बैक्टीरिया है जो हमारे मुंह के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। कुछ सबसे आम दांतों के रोग की बात करें, तो इनमें शामिल हैं-
अगर आपको पीरियडोंटल बीमारी का पता चला है, तो आपको अपने मसूड़ों की बेहतर देखभाल करने की आवश्यकता है। इसे गम डिजीज (Gum Disease) भी कहा जाता है, जो कि दांतों को अच्छी तरह से फ्लॉस न करने के कारण होता है। प्लॉक पैदा करने वाले जीवाणुओं का निर्माण आखिरकार मसूड़े की सूजन या पीरियंडोंटाइटिस के विकास की ओर ले जाता है, जो पीरियडोंटल बीमारी का पहला चरण है।
पीरियडोंटल डिजीज के लक्षण
आपके मसूड़ों में और उसके आसपास प्लॉक और टैटार बिल्डअप को हटाने के लिए गहराई से दांतों की सफाई करें। यह प्रक्रिया कुछ लोगों के लिए दर्दनाक हो सकती है लेकिन आमतौर पर इससे आपको मसूड़ों की बीमारियों से आराम मिल सकता है।
दांतों में कैविटी बच्चों और वयस्कों, सभी को प्रभावित करती है। कैविटी की परेशानी ज्यादातर मीठी चीजों, अम्लीय खाद्य पदार्थों व पेय पदार्थों के सेवन करने और उसके बाद ब्रश ना करने के कारण होती है। ये पदार्थ दांतों में बैक्टीरिया के प्रसार को बढ़ावा देते हैं और कैविटीज को नुकसान पहुंचाते हैं।
कैविटी के लक्षण
मुंह में हानिकारक कैंडिडा फंगल इंफेक्शन की वृद्धि के कारण मुंह में छाले हो जाते हैं। यह स्थिति शिशुओं और कम प्रतिरक्षा वाले लोगों को प्रभावित करती है। ओरल थ्रश आसानी से देखा जाता है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप जीभ और गालों पर दूधिया सफेद घाव फैल जाते हैं। अगर इसे बहुत लंबे समय तक अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो कैंडिड इंफेक्शन टॉन्सिल और गले को लक्षित कर सकता है, जिससे निगलने में कठिनाई होती है।
ओरल थ्रश के लक्षण
हैलिटोसिस को बैड ब्रिथ के नाम से जाना जाता है, जिसमें व्यक्ति के मुंह से दुर्गंध आती है। ये एक सबसे पुरानी स्थिति है जो धूम्रपान, खराब दांतों का स्वास्थ्य और मौजूदा श्वसन पथ संक्रमण सहित कई जोखिम कारकों के कारण हो सकती है। हैलिटोसिस मसूड़े की सूजन या पेरियोडोंटाइटिस के कारण भी हो सकता है, जो दांतों और मसूड़ों के आसपास प्लाक और टार्टर बिल्डअप के कारण होता है।
हैलिटोसिस के लक्षण
हैलिटोसिस का इलाज केवल एक सख्त मौखिक स्वच्छता दिनचर्या को अपनाने और नियमित रूप से अपने दंत चिकित्सक के पास जाकर किया जा सकता है। खाने के बाद और सोने से पहले बैक्टीरिया से छुटकारा पाने के लिए एंटीसेप्टिक माउथवॉश के उपयोग के साथ फ्लॉसिंग और ब्रश करना चाहिए। इसके अलावा, दिन भर फ्लोराइड युक्त पानी से हाइड्रेटेड रहना सांसों की बदबू के लक्षणों को कम कर सकता है।
अगर आप नियमित रूप से नट्स या आइस क्यूब्स जैसे जटिल खाद्य पदार्थों को खाते हैं, तो इससे आपके दांत टूट सकते हैं। ऐसे में जब आप अपनी जीभ को इसके साथ चलाते हैं, तो आप एक खुरदरा किनारा भी महसूस कर सकते हैं। टूटे हुए दांतों के कारण आपको दांतों में सेंसिटिविटी की परेशानी भी हो सकती है।
दांत पीसना आमतौर पर बच्चों में सबसे ज्यादा होता है पर ये आदत नहीं है बल्कि एस बीमारी है, जिसे ब्रुक्सिज्म कहते हैं। ब्रुक्सिज्म के कारण आपके दांतों की सतहें खराब हो सकती हैं और जबड़ें भी खुल सकते हैं। इसके चलते आपको दांतों में दर्द भी हो सकता है।
जिंजिवाइटिस, मसूड़े की बीमारी के शुरुआती चरण में होता है। इसमें प्लॉक के कारण आपके दांतों के आसपास के टिशूज में संक्रमण होता है। अगर आपको मसूड़े की सूजन है, तो आपके मसूड़े लाल हो सकते हैं, सूज सकते हैं और आसानी से खून बह सकता है। आपको सांसों की बदबू का भी अनुभव हो सकता है क्योंकि मसूड़ों की बीमारी आमतौर पर दर्द रहित होती हैं।
डायबिटीज के कारण कई लोगों को दांतों से जुड़ी परेशानियां भी होती हैं। दरअसल, टाइप 2 डायबिटीज गम डिजीज का कारण बनता है। इसके अलावा डायबिटीज से पीड़ित लोगों की इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती है जिससे उन्हें मुंह में बैक्टीरिया के संक्रमण ज्यादा तेजी से होता है। इसके चलते कई परेशानियां हो सकती हैं, जैसे कि
मुंह का कैंसर आपके गले, जीभ, गाल और होंठ सहित मुंह के कई क्षेत्रों को लक्षित कर सकता है।यह रोग आमतौर पर एक लाल या सफेद सतह के साथ सूजन या झुनझुनी गले के रूप में प्रकट होता है जो अतिरिक्त तंबाकू सेवन या मानव पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण हो सकता है। ओरल कैंसर के लक्षणों की बात करें, तो इनमें शामिल हैं
अगर आपको समय से पहले मुंह के कैंसर का पता चलता है, तो कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं जैसे कि कीमोथेरेपी आदि। बस डॉक्टर से प्रारंभिक चरणों में ही इस बीमारी की पहचान करवा लें।
इस तरह से आप विभिन्न प्रकारों के दांतों से जुड़ी परेशानियों के बारे में जानिए और दांतो की देखभाल और इससे जुड़ी जानकारियों के लिए पढ़ते रहें ऑनली माय हेल्थ पर दंत स्वास्थ्य (dental diseases in hindi)
Source: WHO
Amercian Dental Association
www.dentalhealth.org