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Arrhythmia: दिल की धड़कन अनियमित क्यों हो जाती है? डॉक्टर से जानें इसके 5 जोखिम कारक

Arrhythmia:  एरिथमिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। जानें इसके जोखिम कारकों के बारे में-

Anju Rawat
Written by: Anju RawatUpdated at: Nov 02, 2023 14:03 IST
Arrhythmia: दिल की धड़कन अनियमित क्यों हो जाती है? डॉक्टर से जानें इसके 5 जोखिम कारक

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Arrhythmia Risk Factors: हृदय हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। दुनियाभर में हृदय रोगों के मामलों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही हैं। हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य कई हृदय रोग हैं, जिससे लोग पीड़ित हैं। एरिथमिया भी एक हृदय रोग है, जिसमें दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। इस स्थिति में दिल की धड़कन बढ़ सकती है या कम हो सकती है। दरअसल, जब इलेक्ट्रिकल इंपल्स बाधित होते हैं, तो एरिथमिया की स्थिति बनती है। इस दौरान आपको सीने में दर्द और बेहोशी जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। एरिथमिया होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। लेकिन एरिथमिया यानी अनियमित दिल की धड़कन के जोखिम कारक क्या हैं। आइए, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के कंसल्टेंट और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ चोपड़ा जानते हैं इनके बारे में-

दिल की धड़कन अनियमित क्या होती है?- What is Arrhythmia in Hindi

एरिथमिया, एक अनियमित दिल की धड़कन है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की धड़कन सामान्य नहीं होती है। यह बीमारी तब होती है, जब इलेक्ट्रिकल इंपल्स बाधित या धीमे हो जाते हैं। जब दिल की धड़कन 100 प्रति मिनट से अधिक होती है, तो इसे टेकी एरिथमिया कहते हैं। वहीं, जब दिल की धड़कन 60 प्रति मिनट से नीचे चली जाती है, तो इसे ब्रेडी एरिथमिया कहा जाता है। इस स्थिति में आपको हृदय से फड़फड़ाने या तेज आवाज आ सकती है। खराब खान-पान, जीवनशैली और कुछ अन्य स्थितियां एरिथमिया के जोखिम कारक हो सकते हैं। 

एरिथमिया के लक्षण- Arrhythmia Symptoms in Hindi

  • दिल की तेज धड़कन
  • दिल की धड़कन धीमी होना
  • छाती में दर्द होना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • चिंता और तनाव
  • चक्कर आना और बेहोशी

एरिथमिया के जोखिम कारक- Arrhythmia Risk Factors in Hindi

1. कोरोनरी धमनी रोग

कोरोनरी धमनी रोग, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और हृदय में खराब एरिथमिया के जोखिम कारक हो सकते हैं। अगर आपको हृदय से जुड़ी ये बीमारियां हैं, तो आपको अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

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2. हाई ब्लड प्रेशर

हाई बीपी भी एरिथमिया का जोखिम कारक है। हाई बीपी की वजह से कोरोनरी धमनी रोग विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसकी वजह से हृदय की दीवारें सख्त हो जाती हैं और इलेक्ट्रिकल इंपल्स बाधित हो जाते हैं।

3. इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

रक्त में इलेक्ट्रोलाइट्स नामक पदार्थ हृदय में इलेक्ट्रिकल इंपल्स को ट्रिगर करते हैं। जब शरीर में पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन होता है, तो इससे दिल की धड़कनें अनियमित हो सकती हैं। 

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4. कुछ दवाइयां

खांसी और सर्दी की दवाइयां एरिथमिया का जोखिम कारक हो सकता है। इसके अलावा, अत्यधिक शराब पीना और धूम्रपान करना भी इसका जोखिम कारक हो सकता है। इससे विद्युत सिंग्नल प्रभावित होते हैं। इससे आपकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। कैफीन और निकोटीन का सेवन करने से भी बचना चाहिए।

5. डायबिटीज

डायबिटीज, एरिथमिया का एक जोखिम कारक हो सकता है। खासकर, जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल अक्सर हाई रहता है, उनमें दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है। अगर आप डायबिटीज रोगी हैं, तो आपको अपना खास ख्याल रखना चाहिए।

 
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