बच्चों की परवरिश के वक्त करें ये 10 काम, हर चीज में परफेक्ट बनेंगे बच्चे

बेहतर परवरिश बच्‍चों के बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करती है। आप भी बच्चों की परवरिश के दौरान कुछ बातों को ध्यान में रखकर उनका बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

Rashmi Upadhyay
Written by:Rashmi UpadhyayPublished at: Mar 30, 2018

अच्‍छी पैरेंटिंग के नियम

अच्‍छी पैरेंटिंग के नियम
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हर कोई चाहता हैं कि उसके बच्‍चे सबसे अच्‍छे हो, हर जगह उनका नाम हो, लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब आप उनमें ऐसे गुण पैदा करेंगे। यह तो सभी जानते हैं कि बच्‍चे माता-पिता का ही प्रतिनिधित्‍व करते है, और बच्चों की बेहतर परवरिश उनके बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करती है। बच्चों की परवरिश के दौरान कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप उनका बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

स्‍वयं को बदलें

स्‍वयं को बदलें
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बच्‍चों को अच्‍छे संस्‍कार या उनसे किसी भी तरह की उम्‍मीद करने से पहले अपनी बुरी आदतों को बदलें, यानी जो आप बच्‍चों से चाहते हैं, पहले उसे स्‍वयं करके दिखाये। क्‍योंकि बच्‍चा वही करता है जो अपने आसपास देखता है। इसके लिये किताबों के साथ कुछ समय गुजारना, देर रात तक टीवी न देखना, चीजों को सही जगह पर रखना, बच्‍चों के समाने कभी भी झगड़ा न करना आदि जैसे कुछ अच्छी आदतों को खुद में विकसित करनी होगी।

सच्चा प्यार दें

सच्चा प्यार दें
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अकसर लोग समझते हैं कि अपने बच्‍चों को प्‍यार करने का मतलब, उनकी हर मांग पूरी करना है। लेकिन अगर आप उनकी हर डिमांड को पूरा करते हैं तो यह आपकी सबसे बड़ी बेवकूफी हैं। अगर आप अपने बच्चे को प्यार करते हैं तो उसे वही दें जो लिये सही और जरूरी है।  image courtesy : getty images

जिद करने पर प्‍यार से समझाएं

जिद करने पर प्‍यार से समझाएं
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बच्चो के नखरे दिखाने या किसी चीज के लिए जिद करने पर आमतौर पर आप उन्‍हें डांटते-फटकारने लगते हैं, लेकिन इसका असर बच्चों पर उल्टा पड़ता है। ऐसे में आपके जोर से चिल्‍लाने से बच्चा भी तेज आवाज में रोने व चिखने लगता है। इसलिए इस स्थिति में अपने बच्‍चों को शांत तरीके से समझाये कि वह जो कर रहा है वो गलत हो।

परवरिश में अनुशासन है जरूरी

परवरिश में अनुशासन है जरूरी
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अनुशासन के बिना परवरिश अधूरी होती है। लेकिन बच्‍चों को अनुशासित करना या मतलब बच्‍चों को डराना नहीं है। आपको अनुशासन और डर में अंतर पता होना चाहिए। कई पैरेंट बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्‍हें मारते पीटते हैं। लेकिन यह सही नहीं है। इससे बच्चा अनुशासित न होकर विद्रोही हो जाता है।  image courtesy : getty images

बातचीत बहुत जरूरी है

बातचीत बहुत जरूरी है
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बच्‍चों के साथ किसी भी विषय पर खुलकर बात करें। उनके साथ हर खुशी और दुख को बांटें। ऐसा करने से बच्‍चे आपको और घर की परिस्थितियों को समझने लगेगें, और साथ ही आपके करीब रहेगा। image courtesy : getty images

बच्‍चों को समय दें

बच्‍चों को समय दें
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आजकल ज्‍यादातर माता-पिता दोनों वर्किंग होने के कारण अपने बच्‍चों को पर्याप्‍त समय नहीं दे पाते। हाल ही में हुए एक शोध में भी यह बात समाने आई है, कि आजकल शहरों में पैरेंट वर्किंग होने के नाते अपने बच्चों के साथ औसतन चार घंटे ही गुजार पाते हैं, जो बच्‍चों के विकास के लिए काफी नहीं हैं। इसलिए अपने बच्‍चों को ज्‍यादा से ज्‍यादा समय देने की कोशिश करें।

बच्‍चों से दोस्‍ती करें

बच्‍चों से दोस्‍ती करें
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अपने बच्‍चों पर खुद को थोपना छोड़ दें। उनके लीडर बनकर उनपर हुक्‍म चलाने की बजाय उनके अच्‍छे दोस्‍त बन जाये। ऐसा करने से बच्‍चे आपसे आसानी से और बेझिझक अपनी सारी बात को कर सके।  image courtesy : getty images

इच्‍छाओं को थोपे नहीं

इच्‍छाओं को थोपे नहीं
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अपनी इच्‍छाओं को बच्‍चों पर थोपे नहीं बल्कि वह जो बनना चाहते हैं उनको बनने दें। जरूरी नहीं कि आपने अपनी जिंदगी में जो किया आपका बच्चा भी वहीं करें। बल्कि अपने बच्‍चे को ऐसा कुछ करने के लिए प्रोत्‍साहित करें जिसके बारे में सोचने तक की हिम्मत जिंदगी में नहीं की हो। image courtesy : getty images

खुद फैसला लेने दें

खुद फैसला लेने दें
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पैरेंट को लगता हैं कि मेरे बच्‍चे को सही-गलत का फर्क नहीं पता, इसलिए वह उन्‍हें अपनी मर्जी से कोई फैसला नही लेने देते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं ऐसा करने से आप उसकी निर्णय की क्षमता को कमजोर कर रहे हैं। यदि आप चाहते हैं कि भविष्य में आपका बच्चा अपने फैसले स्‍वयं लेने में सक्षम बने, तो अभी से कुछ छोटे-मोटे फैसले उसे लेने दें।  image courtesy : getty images

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