वैसे तो गर्भावस्था महिला के जीवन का एक खूबसूरत लम्हा है। लेकिन इस समय में एक महिला को अनेक प्रकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। कई बार यह समस्याएं गर्भवती महिला और बच्चे को पैदा होने के लिए उच्च जोखिम पैदा कर सकती हैं।
स्वयं पर थोड़ा ध्यान देकर आप ना केवल गर्भावस्था की जटिलताओं से बच सकती हैं बल्कि स्वस्थ शिशु को भी जन्म दे सकती हैं। इस दौरान यदि आपने अपने शरीर का ध्यान नहीं दिया और छोटी-छोटी समस्याओं को नजरअंदाज किया तो न केवल आपके लिए बल्कि आपके होने वाले शिशु के लिए कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्यायें हो सकती हैं। आइए हम आपको बताते हैं गर्भावस्था के दौरान क्या-क्या समस्यायें हो सकती हैं।
गर्भावस्था और जटिलतायें
उच्च रक्तचाप
गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप से संबंधित समस्या कई बार हो सकती है। उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्ल्ड प्रेशर मां और उसके पेट में पल रहे बच्चे को गंभीर समस्याओं का शिकार बना सकता है। उच्च रक्तचाप के कारण समय से पूर्व बच्चे का जन्म और जन्म के समय बच्चे का वजन आवश्यकता से कम होने का खतरा बनता है।
अस्थमा की समस्या
गर्भावस्था के दौरान महिला इस समस्या से भी गुजर सकती है, अस्थमा से भ्रूण के वज़न में कमी, समय से पूर्व प्रसव, और सिजेरियन द्वारा बच्चे का जन्म और अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। गर्भ धारण करने से पहले उदासी और विषाद से ग्रसित होना, मतलब कि यह अवस्था प्रसव के बाद भी जारी रह सकती है। गर्भावस्था में रक्त में उच्च मात्रा में शर्करा के होने से भ्रूण को हानि पहुंच सकती है और महिला की दीर्घकाल से चलती आ रही मधुमेह की बीमारी को और गंभीर बना सकती है।
वजन का बढ़ना
गर्भवती होने के बाद महिला का वजन बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन यदि महिला का वजन ज्यादा बढ़ रहा है तो यह चिंता का विषय हो सकता है। हाल ही के अध्ययनों से पता चला है कि महिला जितनी अधिक स्थूल होगी, गर्भावस्था में उसके लिए उतनी ही समस्याएं खड़ी हो सकती हैं, जिसमे समय से पूर्व बच्चे के जन्म का खतरा अधिक रहता है।
माइग्रेन और सिरदर्द
गर्भवती होने के बाद महिला को सिरदर्द होना सामान्य है, लेकिन यह इस दौरान होने वाली एक गंभीर जटिलता हो सकता है। इसके लिए तनाव सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है। चिकित्सक भी तनाव से बचने की सलाह देते हैं। लेकिन यदि आप इससे बचने के लिए एंटीबॉयटिक दवाओं का इस्तेमाल बिलकुल न करें। सिरदर्द की समस्या ज्यादा हो तो चिकित्सक से सलाह लेकर ही दवाओं का सेवन करें।
गर्भावधि मधुमेह
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को यह गेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या हो सकती है। इसलिए गैस्टेशनल डायबिटीज़ की चिकित्सा के लिए रक्त शुगर की जांच नियमित रूप से करायें। इसके लिए ग्लूकोज़मीटर का प्रयोग एक आसान और सुरक्षित विकल्प है। आप अपने घर में इसके जरिए जांच कर सकते हैं, यदि कोई समस्या हो तो चिकित्सक से परामर्श लें।
नियमित जांच
गर्भावस्था की जटिलताओं से बचने के लिए जरूरी है नियमित जांच, इसलिए गर्भधारण करने के बाद नियमित जांच अवश्य करायें। शिशु के विकास के परीक्षण के लिए अल्ट्रासाउण्ड कराना भी एक अच्छा विकल्प है। अगर आपका बच्चा सामान्य से बड़ा है तो आपको इन्सुलिन शाट्स लेने की आवश्यकता है।
थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप अपनी स्वास्थ्य स्थितियों पर नियंत्रण तो पा ही सकती हैं, साथ ही स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती हैं।
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