क्षय रोग के जोखिम कारक

क्षय रोग स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है लेकिन समय रहते सावधानी बरतकर इससे बजा जा सकता है जानें टी.बी के इन कारकों के बारे में!

सम्‍पादकीय विभाग
Written by: सम्‍पादकीय विभागUpdated at: Dec 17, 2019 17:41 IST
क्षय रोग के जोखिम कारक

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जैसा कि हम सभी जानते हैं क्षय रोग या टी.बी. का हमारे शरीर पर बहुत ही गहरा प्रभाव डालती है। साथ ही इससे कई और तरह की बीमारियां होने का खतरा भी लगातार बना रहता है। लेकिन टी.बी के हमारे शरीर को कई तरह से नुक्सान पहुंचा सकता है। टी.बी के कई ऐसे कारक भी है जिनकी वजह से हम इसकी चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में टी.बी के कारकों के बारे में जानना बहुत जरूरी हो जाता है। जिससे हम सावधानी बरतकर समय रहते इसकी चपेट में आने से बच सकें। जानें टी.बी के इन्हीं कारकों के बारे में ताकि आप समय रहते खुद व अपने परिवार को इसकी चपेट में आने से बचा सकें।

क्षय रोग (टी.बी.) के जोखिम कारक:

कमजोर इम्युनिटी है टी.बी. का बड़ा कारण- 

टी.बी. की चपेट में आमतौर पर वे लोग आते हैं जिनका इम्युन सिस्टम कमजोर होता है। आपकी खराब जीवनशैली, ठीक से खानपान न लेना और आपका अनुवांशिक रूप से कमजोर होना आपके इम्युन सिस्टम के कमजोर होने का बड़ा कारण हो सकते है।

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वृद्धावस्था में है अधिक खतरा- 

बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है। वृद्धावस्था में डायबिटीज, कैंसर जैसे रोग होना आम बात है। इसलिए आमतौर पर युवावस्था की तुलना में वृद्धावस्था में लोगों को टी.बी. होने का खतरा दुगना होता है।

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नशीले पदार्थों का सेवन है नुकसानदायक-

धूम्रपान और मादक पदार्थों के सेवन टी.बी. होने का बहुत बड़ा कारण है। आजकल ज्यादातर लोग खासकर युवा वर्ग धूम्रपान और मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। इसके अलावा अल्कोहल का सेवन भी काफी अधिक मात्रा में करते हैं। ऐसे में इम्युन सिस्टम कमजोर होना और तरह-तरह की बीमारियां होना आम बात है। इसकी वजह से सामान्य वक्तियों की तुलना में नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में टी.बी. होने का खतरा अधिक होता है।

प्रभावित क्षेत्र में टी.बी की संभावना अधिक- 

व्यक्ति की बीमारी के पीछे उसका जन्म स्थान एक महत्वपूरण कारक होता है। दरअसल टी.बी. की चपेट में वे लोग अधिक आते हैं जो तपेदिक प्रभावत क्षेत्र में रह रहे हैं। यदि आपका क्षेत्र या देश टी.बी. प्रभावित है तो ऐसे में आपको टी.बी होने की संभावना अधिक होती है।

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संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से- 

आसपास मौजूद टी.बी से पीड़ित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। यदि आपके घर में या आसपास के क्षेत्र में कोई टी.बी. पीडि़त व्यक्ति है यानी आपके आसपास टी.बी. के जीवाणु मौजूद हैं। ऐसे में सावधानी बरतना बहुत जरूरी होता है सावधानी ना बरतने पर कभी भी आप टी.बी. की चपेट में आ सकते हैं।

शारीरिक कमजोरी और बीमारियां भी है वजह-

हवा में मौजूद टी.बी. के कण कमजोर लोगों को जल्दी अपना शिकार बना लेते हैं। दरअसल कुछ लोग शारीरिक रूप से बहुत कमजोर होते हैं। साथ ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो किसी कारणवश लंबे समय से किसी बीमारी का शिकार होते हैं। यदि आप शरीरिक रूप से कमजोर या लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो ऐसे में आपको टी.बी. होने का अधिक खतरा है।

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डायबिटीज, एड्स जैसी बीमारी होना- 

आमतौर पर सामान्य व्यक्तियों की तुलना में डायबिटीज के रोगियों को टी.बी. होने का खतरा अधिक होता है। साथ ही एचआईवी एड्स से पीड़ित लोग भी इसकी चपेट में जल्दी ही आजाते हैं। ऐसे में यदि आप डायबिटीज खासकर डायबिटीज टाइप-2 के शिकार हैं तो आप कभी भी टी.बी. की चपेट में आ सकते हैं।

यात्रा के दौरान सावधानी जरूरी-

यदि आप घूमने के शौकीन हैं और बहुत ज्यादा यात्रा करते हैं और अनजाने में किसी टी.बी. प्रभावित क्षेत्र में चले जाते हैं तो आपको टी.बी. की चपेट में आने की अधिक संभावना है। ऐसे में यात्रा करते समय आपको अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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